सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में छह हफ्ते के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है.
कथित तौर पर एक मुठभेड़ में माओवादी नेता चेरुकुरी राजकुमार उर्फ़ आज़ाद और पत्रकार हेमचंद्र पाण्डे के मारे जाने को लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी टिप्पणी की है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘एक गणतंत्र को अपनी ही संतान की हत्या की अनुमति नहीं दी जा सकती.’
छह महीने पहले आज़ाद और हेमचंद्र की मौत कथित तौर पर एक मुठभेड़ में हो गई थी.
राजकुमार उर्फ़ आज़ाद प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) की केंद्रीय समिति के एक वरिष्ठ सदस्य थे. पुलिस ने उन पर आरोप लगाया था कि वो एक माओवादी हैं और दो जुलाई की रात आंध्रप्रदेश के अदीलावाद ज़िले में एक कथित मुठभेड़ में उनकी मौत हो गई थी.
कोर्ट की यह टिप्पणी अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है. इस मुठभेड़ को लेकर कई तरह के बयान लामने आए हैं. मैं इस टिप्पणी से बेहद खुश हूं.
स्वामी अग्निवेश
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश और हेमचंद्र की पत्नी ने इस मुठभेड़ के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी.
न्यायमूर्ती आरएम लोढी और आफ़ताब आलम की पीठ ने इस मामले में सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि हम एक गणतांत्रिक राज्य को अपनी ही संतानों की हत्या की इजाज़त नहीं दे सकते.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र और आंध्रप्रदेश सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि वो छह हफ्ते के भीतर इस मामले में अपना जवाब दाखिल करें.
कोर्ट ने कहा, ''हमें उम्मीद है कि इसका जबाव मिलेगा और वह जवाब संतोषजनक होगा.''
हम एक गणतांत्रिक राज्य को अपनी ही संतानों की हत्या की इजाज़त नहीं दे सकते. 'हमें उम्मीद है कि सरकार से हमें इस मामले में जबाव मिलेगा और वह जवाब संतोषजनक होगा.
सुप्रीम कोर्ट
इस मामले में न्यायिक जांच की मांग करते हुए याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि मानवाधिकार संगठनों की ओर से कराई गई पोस्मार्टम जांच यह साबित करती है कि इन दोनों की मौत मुठभेड़ के दौरान नहीं हुई है.
कोर्ट की इस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्वामी अग्निवेश ने कहा, ''कोर्ट की यह टिप्पणी अपने आप में बेहद महत्वपूर्ण है. इस मुठभेड़ को लेकर कई तरह के बयान लामने आए हैं. मैं इस टिप्पणी से बेहद खुश हूं.''
हेमचंद्र की पत्नी ने इस मामले में कहा, ''मुझे उम्मीद है कि हम यह केस जीत सकते हैं. यह पूरी तरह एक फर्जी मुठभेड़ थी. हैदराबाद पुलिस ने पहले एक पोस्टमार्टम रिपोर्ट बनाई और फिर उसे असली रिपोर्ट से बदल दिया.''
हालांकि आंध्रप्रदेश के पुलिस महानिदेश ने इस मुठभेड़ को फर्जी न मानते हुए आज़ाद की मौत को सही क़रार दिया है.