संसद भवन का निर्माण मात्र 83 लाख रुपये में ब्रिटिश सरकार ने करवाया था।
नई दिल्ली की रचना करने वाले दो मशहूर वास्तुविदें सर एडविन लुटियंस और सर हर्बट बेकर ने इस अद्भुत इमारत का डिजाइन तैयार किया था और 12 फरवरी 1921 को दी ड्यूक आफ कनाट ने इस भवन की आधारशिला रखी थी। 145 खंभों वाली इस इमारत का निर्माण कार्य पूरा करवाने में बेकर को छह साल का समय लगा तथा इसका औपचारिक उद्घाटन 18 जनवरी 1927 को भारत के तत्कालीन गवर्नर जनरल लार्ड इरविन ने किया था और इमारत के निर्माण की लागत 83 लाख रुपया आया था।
विंसटन चर्चिल ने एक जगह कहा था कि हमारी इमारतें हमें आकार देती हैं और हम अपनी इमारतों को।
दिल्ली के इतिहास के विशेषज्ञ और स्तंभकार आर वी स्मिथ ने संसद भवन इमारत के संबंध में कहा कि दुनिया के विभिन्न हिस्सों से भारत यात्रा पर आने वाले लोग संसद भवन की इमारत को देखने आते हैं लेकिन बहुत कम दिल्लीवासी होंगे जो इस आलीशान इमारत के बारे में गहराई से जानते होंगे।
उन्होंने कहा कि यह न केवल एक वास्तुशिल्प का अद्भुत नमूना है बल्कि अपने आप में यह हिंदुस्तान के आजादी के इतिहास के एक बड़े हिस्से को समेटे हुए है।
आंकड़ों के अनुसार, संसद भवन का व्यास 170.69 मीटर है और यह करीब छह एकड़ भूक्षेत्र में स्थित है। इसके प्रथम तल पर स्थित गलियारे में बेहद हल्के भूरे रंग के बलुआ पत्थर के 144 विशाल खंभे लगे हैं जिनमें से प्रत्येक खंभे की लंबाई 27 फुट है। इस इमारत के कुल 12 प्रवेश द्वार हैं जिनमें से संसद मार्ग पर स्थित एक नंबर द्वार प्रमुख प्रवेश द्वार है।
हालांकि संसद पर आतंकी हमले के बाद से इस प्रमुख द्वार को बंद कर दिया गया है और अब आवाजाही विजय चौक की ओर स्थित द्वार से संचालित होती है।
स्मिथ ने बताया कि संसद भवन का निर्माण पूरी तरह स्वदेशी सामग्री से हुआ था और भारतीय मजदूरों ने भारतीय लोकतंत्र के इस ऐतिहासिक सपने को अपने हाथों से मूर्त रूप दिया था, लेकिन इसमें खास बात यह है कि यह भव्य इमारत भारतीय परंपरा की प्रतीक है।
इमारत के भीतर और बाहर पानी के फव्वारों का निर्माण, खिड़कियों और दीवारों पर छज्जों की ओट तथा दीवारों के बीच में विभिन्न प्रकार की संगमरमर की 'जालियां' प्राचीन भारतीय इमारतों के वास्तुशिल्प की याद दिलाती हैं।
स्मिथ कहते हैं कि अंग्रेज वास्तुविदों ने भारतीय संसद भवन के डिजाइन और निर्माण में स्थानीय मौसम परिस्थितियों और वास्तुशिल्प को बारीकी से केंद्र में रखते हुए काम किया जो इस अद्भुत इमारत को देख कर ही समझ में आ सकता है।
खूबसूरती की मिसाल इस इमारत का मुख्य और केंद्रीय हिस्सा विशाल गोलाकार 'सेंट्रल हाल' है जिसकी तीन धुरियों पर लोकतंत्र के तीन खंभे लोकसभा, राज्यसभा तथा लाइब्रेरी हाल है जिसे पहले 'प्रिंसेज चैंबर' के नाम से जाना जाता था। इन तीनों परिसरों के बीच खूबसूरत बगीचे स्थित हैं।
इन तीनों गुंबदाकार भवनों के चारों ओर चार मंजिला गोलाकार इमारत है जिनमें मंत्रियों, संसदीय समितियों के अध्यक्षों, राजनीतिक दलों के कार्यालय, लोकसभा तथा राज्यसभा के महत्वपूर्ण सचिवालय तथा संसदीय कार्य मंत्रालय का कार्यालय स्थित हैं।