Saturday, February 25, 2012

क्या हो रहा है पत्रकार चन्द्रिका हत्या कांड का -? अपराधी पुलिस की गिरफ्त में या बाहर---?

लगता है पत्रकार चन्द्रिका राय हत्या कांड में पुलिस कोई ठोस जानकारी न देकर केवल आँख मिचोली कर रही है ,कभी पुलिस कहती है अपराधी गिरफ्त में है ,कभी कहती है गिरफ्तार अपराधी हत्या कांड के न होकर अपहरण कांड के है आखिर हो क्या रहा है --क्या कहती है पुलिस ---पत्रकार हत्याकांड बना रहस्य-------उमरिया में पुलिस अधीक्षक मनोहरसिंह जामरा के प्रेस रिलीज के मुताबिक पत्रकार चंद्रिका राय व उनके परिवार की हत्या के तार 15 फरवरी को हुए सब-इंजीनियर के बेटे अन्नत झारिया के अपहरण कांड से जोड़े गए हैं।इस अपहरणकांड में अपहरणकर्ताओं ने फिरौती की मांग की थी। अपहर्ताओं पर जब पुलिस ने दबाव बनाया तो वे 16 फरवरी की शाम को अनन्त को ब्यौहारी स्टेशन पर छोड़कर भाग निकले। पुलिस ने ब्यौहारी स्टेशन मास्टर की सूचना पर अनन्त को बरामद कर उसे उसके पिता को सौंप दिया । इस अपहरकांड में प्रयुक्त मोबाइल का पुलिस पता लगा ही रही थी कि पत्रकार चंद्रिका राय व उसके परिवार की हत्या करने की सूचना पुलिस को मिली। पुलिस ने मोबाइल के आधार पर अपहरण कांड के आरोपियों को पकडऩा चाहा तो उनके नाम होमगार्ड सैनिक विद्यानिवास तिवारी, अमित सिंह, सुनील, मनीष कोरी, हरेंद्र सिंह व राज के नाम सामने आए। इनसे जब पूछताछ की गई तो इन आरोपियों में से अपहरणकांड का मास्टर माइंड होमगार्ड सैनिक विद्यानिवास तिवारी ने कबूल किया कि चंद्रिका राय की हत्या भी हमने की है। वह हमें ब्लैकमेल कर रहा था, चंद्रिका का कहना था कि फिरौती की जो रकम तुम लोगों ने सब-इंजीनियर से ली है उसमें से मुझे भी हिस्सा दो, नहीं तो तुम लोगों को में एक्सपोज कर दूंगा।अपहरण और हत्याकांड के मास्टर माइंड विद्यानिवास तिवारी ने हत्याकांड में पांच लोगों के शामिल होने की बात कबूली है। इसमें से दो आरोपी विद्यानिवास तिवारी और अमित सिंह हैं, शेष तीन अन्य आरोपी हैं, जो फरार हैं।



डीजीपी ने कहा पत्रकार हत्याकांड में अभी कोई साक्ष्य नहीं मिले---------उमरिया के पत्रकार चंद्रिका राय हत्याकांड मामले में जिला पुलिस और पुलिस के प्रदेश प्रमुख के बयानों में विरोधाभास सामने आया है। इन बयानों ने एकबार फिर नया विवाद झेड़ दिया है। उमरिया पुलिस ने बकायदा अपने पुलिस कप्तान मनोहरसिंह जामरा के हस्ताक्षर किया हुआ प्रेस रिलीज तक जारी कर दिया है। इधर, प्रदेश के पुलिस प्रमुख एसके राउत ने कहा है कि पत्रकार हत्याकांड में कई बातें सामने आ रही हैं लेकिन अभी कोई सबूत नहीं मिल पाया है जिसके आधार पर कहा जा सके कि हत्याकांड का खुलासा कर लिया गया है।

डीजीपी एसके राउत ने दो टूक कहा है कि उमरिया में एसटीएफ प्रमुख संजय चौधरी और लोकल पुलिस के अधिकारी इस हत्याकांड की जांच कर रहे हैं। अभी कोई सबूत हाथ नहीं लगा है। डीजीपी से सवाल किया गया कि उमरिया पुलिस तो कह रही है कि हत्याकांड में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है उन्होंने जुर्म भी कबूल कर लिया है, इस पर डीजीपी ने साफ कहा कि आरोपी के कहने भर से यह मान लेना कि हत्या इन्हीं ने की है, गलत होगा। जब तक कि आरोपी के बयानों की पुष्टि करता कोई सबूत हाथ न लग जाए। अभी एसडीएफ के प्रमुख संजय चौधरी, लोकल पुलिस के साथ मिलकर हत्याकांड के संबंध में जो बातें सामने आ रही हैं उसका लिंकअप कर रहे हैं। उसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा।

Tuesday, February 21, 2012

पत्रकार हत्याकांड के हत्यारे जल्द ही पकडे जायेंगे ....एडीजी एसटीएफ संजय चौधरी ----

ऐसे नपुसंको,कायरो ,मक्कारों ,गद्दारों और भाड़े के हत्त्यारो पर थूकते है हम ...........
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शायद वरिष्ठ पत्रकार चंद्रिकाराय जी की हत्या करने वाले भाड़े के टट्टू जानते नहीं है  की कलम में कितनी ताकत और आग है किसी एक चंद्रिकाराय की हत्या कर लेने मात्र से माफियाराज या असामाजिक राज ,गुंडाराज कायम नहीं हो जायेगा ,बल्कि चंद्रिकाराय जी के हर खून के कतरे से हजारो चंद्रिकाराय जैसे जांबाज कलम के पहरेदार पैदा होंगे जो भाड़े के हत्त्यारो के वंश को मिटा ही नहीं देंगे बल्कि नेस्नाबुत कर देंगे ..... माफियाराज या असामाजिक राज ,गुंडाराज कायम रखने वालो ऐसी ओछी ,घटिया ,पशुता भरी , नपुसंक भरी नामर्दों वाली हरकते छोड़ो भारत में तुम उंगलियों में गिने जाने लायक ही हो क्योकि तुम्हारा कोई वजूद नहीं है ,तुम्हारी कोई शक्ल नहीं है, तुम्हारी कोई औकात नहीं है ,तुम्हारा कोई इमान नहीं है....तुम्हारा कोई आत्मसम्मान नहीं है ....लेकिन भारत माँ के पहरेदार कलम के सिपाहीयो की कमी नहीं है ....शायद भाड़े के ये टट्टू लोंग भूल जाते है की कलम के ये सिपाही अगर देश और समाज के पहरेदार है तो उतने ही सिरफिरे भी है जो केवल कलम ही चलाना नहीं जानते बल्कि .....................??? सारे भारत से कलम के सिपाही देश और समाज के लिए अपने फर्ज के लिए शहीद होने वाले वीर साहसी पत्रकार चंद्रिकाराय जी हत्या पर नम आँखों से भावभीनी श्रदांजली अर्पित करते है 
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अपहरण करने वाले गिरोह पर सबसे ज्यादा ध्यान --------प्रदेश के उमरिया जिले में पत्रकार चंद्रिका राय एवं उनके परिवार की हत्या की जांच स्पेशल टास्क फोर्स ने शुरू कर दी है। आधा दर्जन सदस्यों की एसटीएफ टीम ने हत्या के पीछे बिंदुओं पर ध्यान लगाया है। इसमें मुख्य कारण यहां हुए एक बच्चे के अपहरण का मामला है। अपहरण करने वाली गैंग का पता किया जा रहा है।
दो दिन पहले उमरिया में एक हिंदी दैनिक के ब्यूरो प्रमुख चंद्रिका राय, उनकी पत्नी दुर्गा, बेटे सजल एवं बेटी निशा की अज्ञात बदमाशों ने हत्या कर दी थी। इस जघन्य नरसंहार की जांच एसटीएफ ने शुरू कर दी है। भोपाल से एआईजी अखिलेश तिवारी एवं इंस्पेक्टर संजय शुक्ला समेत छह लोगों की टीम ने उमरिया थाने से केस डायरी लेकर जांच शुरू कर दी है। टीम ने मौके का मुआयना किया। इसमें यह बात सामने आई कि हत्यारे किसी हथियार से लैस होकर नहीं आए थे। उनकी बोलेरो जीप की निकली हुई कमानियों से ही बड़े नृशंस तरीके से हत्या की गई। हत्यारे पूरे परिवार को ही मारना चाहते थे। चारों मृतक अलग-अलग कमरे में थे एवं वहीं उनकी हत्या की गई। हत्यारे घर में कैसे घुसे यह जांच का विषय है क्योंकि राय के घर में मुख्य द्वार के अलावा कहीं दूसरी तरफ से अंदर जाने का रास्ता नहीं है। जांच टीम ने लोक निर्माण विभाग के एसडीओ हेमंत झारिया के बेटे अनंत का अपहरण करने वाले गिरोह पर सबसे ज्यादा ध्यान लगाया है। स्थानीय पुलिस द्वारा स्वयं के दबाव में अपहरणकर्ताओं द्वारा बच्चे को मुक्त करने की थ्यौरी को एसटीएफ ने नकार दिया है। टीम झारिया से पूछताछ कर रही है कि उनसे अपहर्ताओं ने कैसे संपर्क किया एवं किसके माध्यम से फिरौती दी गई। माना जा रहा है कि राय को इस गिरोह के बारे में भनक लग गई थी। इसके अलावा जांच में यह बात भी सामने आई कि राय के ऊपर दो लाख रुपए का कर्ज था एवं वे यह रुपया चुका नहीं पा रहे थे। तीसरा बिंदु कोल माफिया है। इसके अतिरिक्त एक शंका यह है कि कोई स्थानीय चोर गिरोह पहले से घुर में घुसा हो एवं उसे पहचान लेने के कारण उसने हत्या कर दी हो। एडीजी एसटीएफ संजय चौधरी कहते हैं कि उनकी टीम ने जांच शुरू कर दी है। जांच के लिए सभी विकल्प खुले रखें हैं। उन्होंने दावा किया कि हत्यारे जल्द पकड़े जाएंगे।
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माफियाओं को बेनकाब करते थे राय------प्रशासनिक अनदेखी और लचर कानून व्यवस्था के चलते मध्यप्रदेश का उमरिया जिला माफियाओं का गढ़ बन चुका है. नवभारत के ब्यूरो चीफ पत्रकार चन्द्रिका राय ने जब अवैध उत्खनन के खिलाफ समाचारों का प्रकाशन किया तो माफिया बौखला गया.
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महत्वपूर्ण बात यह है कि चार दिन बाद भी सामूहिक हत्याकाण्ड की गुत्थी पुलिस नहीं सुलझा पायी है. उसे अभी तक कोई पक्के सबूत नहीं मिले हैं. पत्रकार हत्या काण्ड के बाद समूचा उमरिया इलाका थर्राया हुआ है. यहां के लोग दहशत में है. गुण्डे और माफियाओं का राज आज भी कायम है. यहां के मिगहरी क्षेत्र में माफिया सक्रिय है. यह पूरा पहाड़ी इलाका है. डिंडोरी, शहपुरा रोड़ में पत्थर, मुरुम की खदानें चल रही हैं. बिरसिंहपुर पाली और नौरोजाबाद में कोयले की दुर्जनों खदानें संचालित हैं. मानपुर से सटे टेटका मोड़ मखीरा में रेत की तमाम खदानें बैखौफ चल रही है. करकेली जनपद और उजान जैसे प्रमुख इलाकों में रेत और कोयले का उत्खनन हो रहा है. जिले के वन क्षेत्र में भी माफिया अवैध उत्खनन कर रहा है. उमरिया से लगभग 32 किलोमीटर दूर बांधवगढ़ में ‘शिकार माफिया’ भी सक्रिय है. सवाल उठ रहे हैं कि क्या पत्रकार व उसके परिवार को मौत की नींद सुलाने में खनिज, वनमाफिया या फिर बाहूवलियों का हाथ है? लेकिन पुलिस अभी तक किसी भी नतीजे तक नहीं पहुंच सकी है. जिला कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता राजा तिवारी का कहना है कि अवैध उत्खनन में प्रशासन की रोक नहीं है. माफिया पैसे के दम पर अपना काम जारी रखे हुए है. माफिया दो एकड़ की जमीन को लीज पर लेकर पचासों एकड़ में खुदाई करता है. पत्रकार स्व. राय ने ऐसे लोगों के खिलाफ दिलेरी के साथ खबरें लिखी थीं. उन्होंने बताया कि कांग्रेस ने यहां के वर्तमान प्रशासनिक अमले को बदलने की मांग की है।
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एसटीफ ने जब्त किये खून से लतपथ अखबार-----राजधानी भोपाल से उमरिया पहुंची स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की चार सदस्यी टीम ने पत्रकार हत्या काण्ड की जांच प्रारंभ कर दी है. टीम ने पत्रकार चन्द्रिका राय के घर में कौने- कौने की जांच की और खून से लतपथ अखबारों को जब्त कर लिया. टीम ने कपड़े भी जब्त किये. फिंगर प्रिंट भी लिये हैं. संदेह के आधार पर कई लोगों को पूछताछ के लिये उठाया गया है. एसटीएफ के लोग उन लोगों से भी मिल रहे हैं, जो लोग पत्रकार चन्द्रिका के नजदीकी थे.
हत्यारों पर 15 हजार का इनाम घोषित------चार लोगों की निर्दयतापूर्वक हत्या करने वाले आरोपियों पर पुलिस ने 15 हजार रुपये का इनाम घोषित किया है. एस.पी. उमरिया मनोहर सिंह जामरा ने नवभारत को बताया कि चार- पांच बिन्दुओं पर सघन जांच की जा रही है, जिसमें जमीन से जुड़े मामले भी हैं, पत्रकार चन्द्रिका के घर के सामने एक भूमि है, जिसे लेकर भी विवाद था.
सीआईडी की टीम भी उमरिया पहुंची--------हत्याकाण्ड की गुत्थी सुलझाने के लिये सरकार ने सीआईडी की टीम भी भोपाल से उमरिया भेजी है. पुलिस अधीक्षक ने बताया कि सीआईडी की टीम भी जांच- पड़ताल में जुट गयी है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि मामले को जल्दी ही सुलझा लिया जाएगा.
 नवभारत की स्टोरी पर सीएम ने रद्द की थी निविदा पत्रकार चंद्रिका राय ने 28 जनवरी वर्ष 2012 के अंक में कोल माफिया की करतूत का खुलासा अखबार में किया था. 30 जनवरी को कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष जयपाल राय ने भू-माफिया के खिलाफ आवाज बुलंद की थी, जिसका प्रकाशन ‘नवभारत’ में किया गया था. कोल माफिया के मामले में नौराजाबाद के नेता के खिलाफ खनिज विभाग ने मामला दर्ज किया था. इसी प्रकार 26 नवंबर वर्ष 2011 के ‘नवभारत’ के अंक में सरकार को करोड़ों रुपये की क्षति पहुंचाने वाले खनिज अधिकारी ने बिना निविदा के ‘चहेतों को दी खदान’ नामक शीर्षक से पत्रकार चन्द्रिका ने बाई लाइन स्टोरी लिखी थी. खबर के बाद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान उमरिया आए थे. इस दौरान पत्रकारों के एक दल ने उन्हें ज्ञापन सौंपा था. तब मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से बात करने को कहा था. उन्होंने निविदा रद्द कर दी थी. पत्रकार स्व. राय ने किसानों की समस्या पर भी स्टोरी लिखी थीं. उन्होंने यह बात भी उजागर की थी कि खदान की दिशा बरबसपुर की ओर है, लेकिन वन सीमा से रेत निकाला जा रहा है. उन्होंने वन विभाग द्वारा सौ एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा करने का भी खुलासा किया था.
जल्द पकड़े जाएंगे हत्यारे-सीएम-------- भोपाल. नभासं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज कहा कि पत्रकार चंद्रिका राय उनकी पत्नी और दोनों बच्चों के हत्यारों को जल्द पकड़ा जाएगा.उन्होंने कहा कि राज्य में आपराधिक तत्वों पर सख्ती कर धरपकड़ की जाएगी. सीएम यहां शिवरात्रि पर्व पर बड़बाले महादेव मंदिर में पूजा करने के बाद पत्रकारों से चर्चा कर रहे थे.उनसे शनिवार शाम की घटना के दो दिन बाद भी हत्यारों को नहीं पकड़े जाने के संबंध में सवाल पूछा गया था.गौरतलब है कि उमरिया जिले के नवभारत संवाददाता और उनके पूरे परिवार की हत्या की जांच स्पेशल टास्क फोर्स करेगी. इस हत्याकांड के विरोध में रविवार को उमरिया बंद रहा था.जबकि जिले के प्रभारी मंत्री जय सिंह मरावी के अलावा पुलिस महानिदेशक एसके राउत के साथ शहड़ोल रेंज के आईजी एपी सिंह और डीआईजी राजाबाबू सिंह ने घटनास्थल का दौरा किया था. घटना से गुस्साए लोग कलेक्टर-एसपी को हटाने की मांग कर रहे हैं. जबकि मौके पर पहुंचे डीजीपी ने टीआई को हटाने के निर्देश दिए थे. इधर,पुलिस को अंदेशा है कि हत्याकांड में दो दिन पहले एक बच्चे का अपहरण करने वाले गिरोह का हाथ है.
हत्याकांड का कारण क्या?---------- राय और उनके पूरे परिवार की हत्या के पीछे मूल रूप से दो कारण माने रहे हैं. पहला कारण कोयला माफिया से जुड़ा समझा जा रहा है, जबकि पुलिस इसके पीछे दो रोज पहले हुए एक अपहरण कांड को देख रही है. लोक निर्माण विभाग के एसडीओ हेमंत झारिया के छह वर्षीय बेटे अनंत का अपहरण हो गया था और उसे अपहरणकर्ताओं ने फिरौती लेकर शहडोल जिले के ब्यौहारी में मुक्त किया था. पुलिस बदनामी से बचने फिरौती से इंकार कर रही है.जबकि आशंका है कि राय को सूत्रों से अपहरणकर्ताओं की जानकारी लग गई थी, जिसके चलते उन्हें मौत के घाट उतारा गया. इधर एसटीएफ से जांच करा रहे डीजीपी एस के राउत को उम्मीद है कि एसटीएफ जल्द ही हत्यारों को पकड़ लेगी.

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Thursday, February 16, 2012

भगवान शंकर – महाशक्ति...................

एक बार भगवान शंकर व माता पार्वती विचरण करते हुए एक पर्वत पर बैठे थे ! इधर-उधर की बातें होने लगीं ! संसार के बारे में चर्चा हो रही थी ! तभी माता पार्वती के पैर पर पानी की एक बून्द गिरी ! माता ने आश्चर्य से उपर देखा ! आसमान साफ था ! उपर कोई पक्षी भी दिखाई नहीं दिया ! फिर यह पानी की बूंद कहां से आई ! माता ने बहुत सोचा परंतु पानी की बून्द का रहस्य समझ में न आया ! उन्होंने अपनी शंका भगवान शंकर से कही ! भगवन ने देखा तो उन्हें भी कुछ समझ में न आया ! माता ने जिद की तथा बूंद के रहस्य का पता लगाने के लिए कहा ! शंकर भगवान अंतर्ध्यान हो गए !
                                                                                          
जब शंकर जी ने अपने नेत्र खोले तो माता पार्वती ने फिर अपनी जिज्ञासा जाहिर की तथा पूछा कि यह पानी की बूंद कहां से आई !शंकर भगवान ने कहा – “अभी थोडी देर पहले नीचे समुन्द्र में एक मगरमच्छ ने छलांग लगाई थी ! जिससे पानी उछल कर ऊपर की ओर आया और आपके पैर पर पानी की बूंद पड गई !”
“यह कैसे हो सकता है ?” मां पार्वती ने शंका जाहिर की ! “क्या मगरमच्छ इतना बलशाली है कि उसकी छलांग लगाने से पानी इतना उपर उछल कर आ गया ? समुद्र तो यहां से बहुत दूर है !”

“हां पार्वती, ऐसा ही हुआ है !” भगवान ने शांत भाव से उत्तर दिया !
“परंतु यह बात मेरे गले नहीं उतर रही ! मैं इस की जांच करना चाहती हूं ! मैं स्वंय जाकर देखना चाहती हूं !” पार्वती ने आज्ञा मांगने के आशय से कहा !
“हां पार्वती, मैं ठीक कह रहा हूं ! ऐसा ही है !’ भगवान ने पार्वती को फिर समझाया !
“परंतु मुझे विश्वास नहीं हो रहा ! मैं अपनी शंका का समाधान करना चाहती हूं !” पार्वती ने कहा “मैं स्वयं जाकर सच्चाई जानना चाहती हूं !”
भगवान शंकर “जैसी आपकी इच्छा !” कहकर फिर अंतर्ध्यान हो गए !माता पार्वती नीचे समुद्र तट पर पहुंच गईं ! उन्होंने देखा कि एक मगरमच्छ किनारे पर ही तैर रहा है ! उन्होंने झट उस मगरमच्छ को बुला कर उससे पूछा -“क्या तुमने अभी कुछ देर पहले पानी में छलांग लगाई थी ?”“हां माता श्री, क्या मुझसे कोई भूल हो गई है ? कृप्या मुझे क्षमा कर दें !” मगरमच्छ ने हाथ जोड दिये !“नहीं वत्स, तुमसे कोई भूल नहीं हुई ! मैं अपनी एक शंका का निवारण करने आई थी !” पार्वती ने कहा !“कैसी शंका माता श्री ?” मगरमच्छ ने प्रश्न किया !
“मैं उपर शंकर भगवान के साथ बैठी थी कि मेरे पैर पर पानी की एक बूंद आकर गिरी ! आसमान भी साफ था तथा ऊपर कोई पक्षी भी नही उड रहा था ! मैने जब शंकर जी से इसका रहस्य पूछा तो उन्होंने ही यह सब बताया !” पार्वती आश्चर्य से मगरमच्छ को देख रहीं थीं ! “लेकिन यदि तुम्हारे पानी में कूदने से जल इतना ऊपर आया है तो इसका मतलब यह हुआ कि तुम बहुत बलशाली हो !” माता ने फिर कहा !
“नहीं मां, मैं कहां बलशाली हूं ! मेरे जैसे और मेरे से भी अधिक बलशाली कई मगरमच्छ इस समुद्र में रहते हैं ! समुद्र हम सबको समेटे हुए है ! तो बलशाली तो समुद्र हुआ न !” मगरमच्छ दीनता से बोला !
“तुम ठीक कहते हो !” यह कहकर पार्वती मां समुद्र के पास जाकर बोलीं – “समुद्र-समुद्र, तुम बहुत बलशाली हो !”समुद्र हाथ जोडकर खडा हो गया ! “क्या बात है माता, आप ऐसा क्यों कह रहीं हैं ?”“मैं उपर शंकर भगवान के साथ बैठी थी कि मेरे पैर पर पानी की एक बूंद आकर गिरी ! आसमान भी साफ था तथा कोई पक्षी भी नही उड रहा था ! मैने जब शंकर जी से इसका रहस्य पूछा तो उन्होंने बताया कि अभी थोडी देर पहले नीचे समुन्द्र में एक मगरमच्छ ने छलांग लगाई थी ! जिससे पानी उछल कर ऊपर की ओर आया यह उसी पानी की बूंद है !” माता पार्वती ने आगे कहा – “सोचो वह मगरमच्छ कितना बलशाली है ! और ऐसे कई मगरमच्छों को तुम समेटे हुए हो ! अतः तुम बहुत बलशाली हो !”“माता आप ऐसा कहकर सिर्फ मेरा मान बढाना चाहती हैं ! यह आपका बडप्पन है ! मैं तो कुछ भी नही ! अब देखिए न, यह सामने पर्वत खडा है ! समुद्र में इतनी ऊंची-ऊंची लहरें ऊठती हैं पानी के थपेडे दिन-रात इसको टक्कर मारते रहते हैं ! फिर भी यह कई वर्षों से इसी प्रकार निश्चल खडा है ! इस पर मेरी लहरों और थपेडों का कोई असर नहीं होता ! मुझ से तो बलशाली यह पर्वत है !” समुद्र ने कहा !‘ओह, मैंने तो यह सोचा ही नहीं था ! वाकई, पर्वत बहुत बलशाली है !” यह कहकर पार्वती जी पर्वत के पास जाकर बोली –“पर्वत बेटा, मैने सुना है कि तुम बहुत बलशाली हो !”“यह आप कैसे कह सकती हैं माता जी !” पर्वत ने नम्रतापूर्वक प्रश्न किया“मैं शंकर भगवान के साथ वहां ऊपर बैठी थी कि मेरे पैर पर पानी की एक बूंद आकर गिरी ! मैने जब शंकर जी से इसका रहस्य पूछा तो उन्होंने बताया कि नीचे समुन्द्र में एक मगरमच्छ ने छलांग लगाई थी ! जिससे पानी उछल कर ऊपर की ओर आया ! वह मगरमच्छ कितना बलशाली है ! और ऐसे कई मगरमच्छ समुद्र में अठखेलियां करते हैं ! उसी समुद्र की लहरों के हजारो-लाखों थपेडों का भी तुम पर कोई असर नहीं होता ! तब तो तुम ही बलशाली हुए न !” पार्वती मां ने सारी कहानी सुनाते हुए पर्वत से पूछा !“नही-नही माता जी ! सच्चाई तो यह है कि मेरे जैसे कई छोटे-बडे पर्वत इस पृथ्वी पर कई वर्षों से खडे हैं ! और पृथ्वी हम सब का भार अपने ऊपर लिए निश्चल खडी है ! तो पृथ्वी हमसे भी अधिक बलशाली हुई !” पर्वत ने अपना तर्क दिया !पार्वती सोच मे पड गईं ! वो सोचने लग गई मैं भी कहां भूली हुई थी ! बलशाली तो पृथ्वी है चलो पृथ्वी के पास चलते हैं ! मां पृथ्वी के पास जाकर कहने लगीं – “अरे पृथ्वी रानी ! मैं तो भूली पडी थी ! मुझे पहले ख्याल ही नहीं आया ! तुम तो बहुत बलशाली हो !”“वो कैसे मां !” पृथ्वी ने प्रश्न किया !“मैं शंकर भगवान जी के साथ ऊपर पर्वत पर बैठी थी कि मेरे पैर पर पानी की एक बूंद आकर गिरी ! मैने जब शंकर जी से इसका रहस्य पूछा तो उन्होंने बताया कि नीचे समुन्द्र में एक मगरमच्छ ने छलांग लगाई थी ! जिससे पानी उछल कर ऊपर की ओर आया ! वह मगरमच्छ कितना बलशाली है ! और ऐसे कई मगरमच्छ समुद्र में विचरण करते हैं ! उसी समुद्र की लहरों के हजारो-लाखों थपेडों को यह पर्वत सहते हैं ! इन जैसे कई पर्वतों का और हम सब का भार तुमने अपने ऊपर लिया हुआ है ! इसलिए इसमें शक की कोई गुंजाईश ही नही है ! तुम ही सबसे बलशाली हो !” पार्वती मां ने पृथ्वी को समझाया !पृथ्वी पार्वती की बात सुनकर नत-मस्तक होकर बोली –“ मैं कहां बलशाली हूं मां ? मैं तो स्वयं ही शेषनाग पर टिकी हुई हूं ! जब शेषनाग ज़रा सा भी अपना सिर हिलाते हैं तो मैं डोल जाती हूं ! बलशाली तो शेषनाग जी हैं !”पार्वती जी का माथा ठनका ! व सोचने लगीं ! अरे वाकई, पृथ्वी सही कह रही है ! इतनी बडी पृथ्वी का सारा का सारा भार शेषनाग ने अपने शीश पर ऊठा रखा है ! तो बलशाली और महाशक्ति तो वही हुआ !पार्वती जी झट से शेषनाग के पास पहुंचीं और उससे कहने लगी ! – “शेषनाग जी मुझे तो आज पता चला कि आप बहुत शक्तिशाली हो !”“वह कैसे ?” शेषनाग ने जिज्ञासा प्रकट की !“मैं शंकर भगवान जी के साथ ऊपर पर्वत पर बैठी थी कि मेरे पैर पर पानी की एक बूंद आकर गिरी ! मैने जब शंकर जी से इसका रहस्य पूछा तो उन्होंने बताया कि नीचे समुन्द्र में एक मगरमच्छ ने छलांग लगाई थी ! जिससे पानी उछल कर ऊपर की ओर आया ! वह मगरमच्छ कितना बलशाली है ! और ऐसे कई मगरमच्छ समुद्र में रहते हैं ! उसी समुद्र की लहरों के हजारो-लाखों थपेडों को यह पर्वत सहते हैं ! ऐसे कई पर्वत पृथ्वी पर आसन जमाए बैठे हैं ! वही पृथ्वी केवल तुम्हारे शीश पर टिकी हुई है ! तुम ही सबसे बलशाली हो ! तुम महान हो ! तुम महाशक्ति हो” पार्वती ने सारी कहानी दोहरा दी !शेषनाग हाथ जोड कर दंडवत प्रणाम करके पार्वती माता के चरणों मे लोट गया और बोला –“हे मां, आप ऐसा कहकर मुझे पाप का भागी बना रही हैं ! मैं तो एक अदना सा प्राणी हूं ! मेरी ऐसी बिसात कहां ! असल महाशक्ति तो आपके पति शंकर भगवान हैं !”“शंकर भगवान ? वो कैसे ?” मां ने प्रश्न किया !“मेरे जैसे कई सर्प, कई नाग उनके गले में लिपटे रहते हैं, उनके शरीर पर रेंगते रहते हैं ! आप कहां भटक गईं माता ! महाशक्ति तो शंकर भगवान हैं !” शेषनाग का उत्तर सुनकर ऐसा लगा जैसे पार्वती के सोचने की शक्ति समाप्त हो गई थी ! वे वापिस आकर शंकर भगवान के चरणों में गिर पडीं !

Friday, February 10, 2012

भारतीय मुद्राओं का दुर्लभ संग्रह............

क्या आप जानते हैं ---------पाकिस्तान को आजादी 14 अगस्त 1947 भारत से एक दिन पहले भले ही मिल गई हो लेकिन 30 सितंबर 1948 तक वहाँ भारतीय नोट ही चलते रहे इसलिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया भारत के साथ साथ पाकिस्तान के लिए भी मुद्रा प्रबंधन का जिम्मा उठाती थी। 1947 का ऐसा ही नोट देखें जिसमें बायीं ओर गवर्नमेंट ऑफ़ पाकिस्तान भी लिखा है........................
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                     भारतीय मुद्राओं का दुर्लभ संग्रह....यहाँ कुछ पुराने भारतीय नोट की तस्वीरे है जो अब प्रचलन में नहीं हैं, आपमें से कुछ लोगों ने शायद इनका प्रयोग भी किया हो लेकिन अधिकाँश लोगों ने इसे देखा भी नहीं होगा.......................