भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु के अग्नि संस्कार का दुर्लभ चित्र--------ये अत्यंत दुर्लभ तस्वीर है उस दाह संस्कार की जो हमारे देश का गौरव बन समस्त भारत के दिल में मातृभूमि की आजादी का जज्बा पैदा कर गये और इसी के बाद ऐसी अलख लगी ‘वन्दे मातरम्’ की कि अंग्रेजों को इस स्थान से ही नही समूचे भारत से भाग जाने में ही अपनी भलाई दिखी इनका नाम है -
“भगतसिंह”
“सुखदेव”
“राजगुरू”
फाँसी के बाद जनता में बढ़ते रोष को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज़ अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों के शवों का अंतिम संस्कार फ़िरोज़पुर ज़िले के हुसैनीवाला में करने की तैयारी थी परन्तु यह बात आंधी की तरह फिरोजपुर से लाहौर तक शीघ्र पहुंच गई। अंग्रेजी फौजियों ने जब देखा की हजारों लोग मशालें लिए उनकी ओर आ रहे हैं तो वे वहां से भाग गए, तब देशभक्तों ने उनके शरीर का विधिवत दाह संस्कार किया गया।
इन शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतऩ पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा
( संध्या मेश्राम से साभार)
“भगतसिंह”
“सुखदेव”
“राजगुरू”
फाँसी के बाद जनता में बढ़ते रोष को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज़ अधिकारियों ने तीनों क्रांतिकारियों के शवों का अंतिम संस्कार फ़िरोज़पुर ज़िले के हुसैनीवाला में करने की तैयारी थी परन्तु यह बात आंधी की तरह फिरोजपुर से लाहौर तक शीघ्र पहुंच गई। अंग्रेजी फौजियों ने जब देखा की हजारों लोग मशालें लिए उनकी ओर आ रहे हैं तो वे वहां से भाग गए, तब देशभक्तों ने उनके शरीर का विधिवत दाह संस्कार किया गया।
इन शहीदों की चिताओं पर लगेंगे हर बरस मेले
वतऩ पे मरने वालों का यही बाकी निशां होगा
( संध्या मेश्राम से साभार)
No comments:
Post a Comment