Monday, January 10, 2011

भ्रष्टाचार से निपटने को संविधान संशोधन की तैयारी

भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के सुझाव देने के लिए पिछले सप्ताह गठित मंत्रियों के समूह के कार्यक्षेत्र में राजनीतिज्ञों सहित सरकारी कर्मचारियों और नौकरशाहों के ऐसे दुराचरण के मामलों को फास्ट-ट्रैक आधार पर निपटाने के लिए संविधान में संशोधन पर विचार करना शामिल है।

टू जी स्पेक्ट्रम सहित भ्रष्टाचार के कई मामलों पर विपक्ष के आरोपों से घिरी सरकार ने दुराचरण के मामलों से कड़ाई से निपटने की तैयारियों के तहत पिछले सप्ताह वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में आठ सदस्यीय समूह का गठन किया था। इस समूह को 60 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।

मंत्रियों का यह समूह भ्रष्टाचार से विधायी और प्रशासनिक दोनों तरीकों से निपटने के उपाय सुझाएगा।

इस समूह के कार्यक्षेत्र में सरकारी खर्च पर चुनाव कराने, सरकारी खरीद और ठेकों में पूरी पारदर्शिता बरतने, केंद्रीय मंत्रियों के विशेषाधिकारों को समाप्त करने और प्राकृतिक संसाधनों के दोहन आदि की खुली और प्रतिस्पर्धात्मक व्यवस्था के सुझाव देना शामिल है।

मुखर्जी की अध्यक्षता वाले इस समूह में शरद पवार, ए के एंटनी, एम वीरप्पा मोइली, कपिल सिब्बल, ममता बनर्जी और एम के अझागिरी शामिल हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भ्रष्टाचार से सीधे निपटने के लिए पिछले महीने पांच सूत्री योजना सुझाई थी। उसी की पृष्ठभूमि में इस समूह का गठन किया गया है।

सोनिया के पांच सूत्रों में राजनीतिज्ञों सहित सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ उठने वाले भ्रष्टाचार के मामलों को फास्ट ट्रैक के आधार पर निपटाना शामिल है। उन्होंने सरकारी खर्च से चुनाव कराने का भी सुझाव दिया है। सरकारी खरीदों में पूर्ण पारदर्शिता बरतने और मुख्यमंत्रियों तथा केंद्र और राज्यों के मंत्रियों के विशेषाधिकार समाप्त किया जाना भी सोनिया के सुझावों में शामिल है।

संप्रग अध्यक्ष ने यह सुझाव भी दिया है कि प्राकृतिक संसाधनों के दोहन में खुली और प्रतिस्पर्धात्मक प्रणाली बनाई जाए।

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