Sunday, September 18, 2011

कान्हा राष्ट्रीय उद्यान

   मै मुकेश वाहने मध्यप्रदेश के बालाघाट जिले से हू, मै ऑरकुट और फेसबुक के सभी दोस्तों को बालाघाट में आमंत्रित करता हू कान्हा नेशनल पार्क बालाघाट जिले से ही लगा बहुत ही सुन्दर पार्क है , कान्हा राष्ट्रीय पार्क वायु, रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। 
                                           कान्हा राष्ट्रीय उद्यान
                                  IUCN श्रेणी २(राष्ट्रीय उद्यान)
                                  स्थिति-    मध्य प्रदेश, भारत
                                 निकटतम शहर-    मांडला
                   निर्देशांक    22°20′0″N 80°38′0″Eनिर्देशांक: 22°20′0″N 80°38′0″E
                                 क्षेत्रफ़ल -   940 km²
                                 स्थापित  -  1955
                                 पर्यटक -   1,000 (in 1989)
                                 प्रशासन-    वन विभाग, मध्य प्रदेश सरकार
                                                             
                     मध्यप्रदेश के दक्षिण-पूर्व में स्थित आदिवासी बाहुल्य प्रकृति के वन एवं खनिज सम्पदा का अपार भण्डार अपने सीने में छुपाने वाला बालाघाट जिले के दक्षिण क्षेत्र में स्थित विश्व विख्यात एवं अंतर्राष्ट्रीय मानचित्र पर जिले को पहुंचाने वाले प्रदेश के विभिन्न चर्चित पार्क में से एक कान्हा नेशनल पार्क पर्यटकों के लिए ऐसा केन्द्र है, जहां जाकर पर्यटन का आनंद लेने की इच्छा हर किसी की होती है। रायपुर से 330 किलोमीटर, नागपुर से 270, जबलपुर से 169 किलोमीटर और मंउला जिले से 65 किलोमीटर दूरी पर स्थित अंतर्राष्ट्रीय कान्हा नेशनल पार्क का क्षेत्रफल 940 वर्ग किलोमीटर है।सन 1999-2000 में पर्यटन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा इस उद्यान को देश का बेस्ट मेन्टनेन्ड टूरिस्ट केण्डली नेशनल पार्क घोषित किया गया। इसका इतिहास भी बहुत ही रोचक है: 1972 में सरकार द्वारा प्रोजेक्ट टाईगर के अंतर्गत के शामिल किये गये। यहां के अधिकांश वन दक्षिण उष्ण कटिबंधीय, नम मिश्रित पर्णपाती वन हैं। पार्क के 24 प्रतिशत भाग में साल वन, 66 प्रतिशत भाग में मिश्रित वन तथा 9 प्रतिशत भाग में घास के मैदान है। कान्हा पार्क में वन्य प्राणी संरक्षण का रोचक इतिहास है। यहां अनेक दुर्लभ प्रजाति के वन्य जीव पाये जाते हैं। उद्यान में बंजर एवं हालोन नामक दो घाटियां है। वर्ष 1933 में बंजर एवं 1935 में हालोन को वन्य जीव अभ्यारण्य सरकार द्वारा घोषित किया गया। सन 1955 में बंजर अभ्यारण्य राष्ट्रीय उद्यान घोषित हुआ।
            अधिसूचना के समय इसका क्षेत्रफल 253 वर्ग किलोमीटर जो 1964 एवं 1970 में बढ़कर 446 वर्ग किलोमीटर हो गया। 1976 में हालोन अभ्यारण्य को इसमें शामिल करने से इसका क्षेत्रफल 940 वर्ग किलोमीटर किलोमीटर पहुंच गया। उद्यान के चारों तरफ फैले 1005 वर्ग किलोमीटर को बफर जोन कहा जाता है। यदि इसे भी शामिल कर लिया जाये तो इसका क्षेत्रफल 1045 वर्ग किलोमीटर हो जायेगा। सन 1982 में उद्यान के मुख्य भाग के पूर्वी क्षेत्र को 1011 वर्ग किलोमीटर के सेटेलाईट कोर एरिया को फेन अभ्यारण्य के रूप में स्थापित किया।कान्हा पार्क तक पहुंचने के लिए सीधे रेल सेवा तो नही है, पर सड़क मार्ग की अनेक सुविधाएं यंहा पर उपलब्ध है। यहंा पाये जाने वाले वन्य जीव समृद्ध है। यहां 43 प्रजातियों के स्तनपायी 18 प्रजातियों के सरीसृप और 300 प्रजाति के पक्षी पाये जाते हैं। पार्क का मुख्य आर्कषण वन्य जीव बारहसिंगा है, जिसे मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य प्राणी घोषित किया है। परन्तु वर्तमान समय एक संकटग्रस्त प्रजाति यह माना जाता है। पार्क में 130 के आसपास बाघों की संख्या बतायी जाती है। स्पष्ट आकंड़े उपलब्ध नही है। पहाड़ों पर स्थित चारागाहों का विशिष्ट स्थान है। इन्हे स्थानीय भाषा में दादर कहा जाता है। कुछ दादर तो 12 वर्ग किलोमीटर में फैले हुए हैं।इसके अतिरिक्त यहां पर बाघ, गुलबाघ, जंगली कुत्ता, भेड़िया, सियार, लोमड़ी, बाईसन, सांभर, नीलगाय, चीतल, भेड़की, जंगली सुअर, भालू जैसे वन्य प्राणी भी देखे जा सकते हैं। कान्हा राष्ट्रीय उद्यान में अनेक दर्शनीय स्थल हैं, जहां से प्रकृति दर्शन का आनंद लिया जा सकता है। उद्यान में किसली मैदान डिगडोला राक कान्हा मैदान, कान्हा एनीकट, चुहरी, श्रवणताल, माचादादर, बम्हनी दादर, बिसनपुर, सोंडर और सोंडर तालाब, घोरेला, लक्सीकबर, शंकरघाटी, पोंगापानी, जानमाड़ा, गुफा, रौंदा, भिलवानी, सूपखार, बम्हनी, मटटा और दरबारी पत्थर प्रमुख दर्शनीय स्थल है। प्रतिवर्ष 1 अक्टूबर से 30 जून तक पर्यटकों के दर्शनार्थ और भ्रमण हेतु खुलने वाले इस पार्क में अनुमानित तौर पर 50 से 60 हजार देशी विदेशी पर्यटक हर साल यहां आकर पर्यटन का आनंद उठाते हैं। पार्क के आसपास मध्यप्रदेश पर्यटन विभाग, वन विभाग के विश्राम गृह के साथ प्राईवेट होटलों की भरमार हैं, जहां पर सभी प्रकार की आधुनिकतम सुख सुविधा उपलब्ध है।
हालांकि इस क्षेत्र के महत्व को देखते हुए पार्क से 35 किलोमीटर दूर बैहर में नवीन हवाई पटटे का निर्माण किया गया है। यहां जैसे विमानों का आवागमन विधिवत रूप से प्रारंभ होगा, इससे पार्क भ्रमण करने वाले विदेशी पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी। सतपुड़ा पर्वत के मैकल श्रेणियों की उत्तरी ढ़ आने से वन्य जीव के बहने के साथ नक्सलियों के द्वारा पार्क में आग लगाकर क्षति पहुंचाने की घटना जो घटित हो चुकी है। इन विषमताओं के पश्चात भी कान्हा पार्क अपनी लोकप्रियता को बनाये रखने एवं पर्यटकों को आकर्षित करने में कहीं भी पीछे नही है।

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