मध्य प्रदेश संभवतया उप महाद्वीप का संभतया सबसे पुराना स्थान है जिसे गोंडवाना कहते हैं अर्थात गोंड समुदाय का घर। भोपाल के पास भीमबेटका की पूर्व ऐतिहासिक गुफाएं हैं, जहां पेलियोलिथिक युग से बनी हुई कुछ मनमोहक तस्वीरें संरक्षित की गई है। मध्य प्रदेश चित्रित गुफा आवासों के संदर्भ में देश का सबसे अधिक समृद्ध राज्य है, जिनमें से अधिकांश गुफाएं सीहोर, भोपाल, रायसेन, होशंगा बाद और सागर जिलों में पाई गई हैं। सुसंरक्षित मध्य कालीन शहरों, तरोताजा कर देने वाले वन्य जीवन अभयारण्यों और कुछ पवित्र और श्रद्धापूर्ण धार्मिक केन्द्रों के साथ यह प्रदेश पर्यटन का आनंदायक अनुभव प्रदान करता है। पचमणि की मनमोहक सुंदरता, भेड़ाघाट में धोंधार जनप्रपात की गरजती आवाज और संगमरमर की चट्टानों की भव्यता, कान्हा नेशनल पार्क अपने अनोखे बारसिंघा के साथ बांधव गढ़ के नेशनल पार्क में पूर्व ऐतिहासिक समय की गुफाएं एवं वन्य जीवन इस राज्य के कुछ प्रमुख आकर्षण है। ग्वालियर, मांडु, दतिया, चंदेरी, जबलपुर, ओरछा, रायसेन, सांची, विदिशा, उदयगिरी, भीमबेटका, इंदौर और भोपाल अपने ऐतिहासिक स्मारकों के लिए कुछ जाने माने स्थान है। महेश्वर, ओमकारेश्वर, उज्जैन, चित्रकूट और अमरकंटक कुछ प्रमुख धार्मिक केन्द्र हैं। यहां स्थित खजुराहो के अनोखे मंदिर दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं। ओरछा, भोजपुर और उदय पुर के मंदिर भी पर्यटकों के साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं को भी आकर्षित करते हैं।
सतना, सांची, विदिशा, ग्वालियर, इंदौर, मंदसौर, उज्जैन, राजगढ़, भोपाल, जबलपुर, रीवा में स्थित संग्रहालयों में पुरातात्विक खजाने संरक्षित किए गए हैं। ओमकारेश्वर, महेश्वर और अमरकंटक को समेकित विकास के लिए उनके धार्मिक महत्व को बनाए रखने के लिए पवित्र शहर घोषित किया गया है। बुरहान पुर को एक नए पर्यटक गंतव्य के रूप में विकसित किया जा रहा है।पर्वतीय स्थल पचमढ़ी-----------पचमढ़ी भारत के मध्य राज्य का मनमोहक पर्वतीय स्थल है। पचमढ़ी शहर की भीड़ भाड़ से दूरदराज स्थित स्थान है। प्रकृति की गोद में छुट्टियां बिताने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। इस पर्वतीय स्थल का नाम पांच पांडवों द्वारा बनाई गई गुफाओं के आधार पर रखा गया है। पचमढ़ी पर्वतीय स्थल 1100 मीटर की ऊंचाई पर सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला पर बसा हुआ है। पचमढ़ी में घने जंगलों के साथ गहरे तालाब और लावे से बनी पहाडियां है। लाल सेंड स्टोन से बनी घाटियां, रेवाइन और पचमढ़ी की गलियां यहां का आकर्षण हैं।
वन्य जीवन अभयारण्य-बांधवगढ़ नेशनल पार्क-------- यह एक नेशनल छोटा पार्क है जो सुगठित होने के साथ खेलों से भरा हुआ है। बांधव गढ़ में बाघों की संख्या भारत में सबसे अधिक है। इस नेशनल पार्क के महत्व और संभाव्यता को देखते हुए इसे 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क में जोड़ा गया था। इस आरक्षित वन का नाम इसके मध्य में स्थित बांधवगढ़ पहाड़ी (807) मीटर के नाम पर रखा गया है जो विंध्य पर्वत श्रृंखला और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के पूर्वी सिरे के बीच स्थित है और यह मध्य प्रदेश के शहडोल और जबलपुर जिलों में है। यहां 22 से स्तनधारियों की प्रजातियां तथा 250 पक्षी प्रजातियां पाई जाती है। यहां सामान्य लंगूर और रिसस बंदर प्राइमेट समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां पाए जाने वाले मांसभक्षियों में एशियाई भेडियां, बंगली लोमड़ी, स्लॉथ बीयर, रेटल, भूरे मंगूस, पट्टी दार हाइना, जंगली बिल्ली, चीते और बाघ, यहां पाए जाने वाले अन्य जंतु है जंगली सुअर, चित्तीदार हिरण, सांभर, चौसिंघा, नील गाय, चिंकारा और गौर। यहां पाए जाने वाले स्तनधारी है डोल, छोटी भारतीय सीवेट, पाम गिलहरी और छोटे बेंडीकूट चूहे कभी कभार देखे जा सकते हैं। शाकाहारियों में केवल गौर नामक जंतु पाया जाता है जो चारा खाता है। नदियों और दलदली स्थानों की वनस्ति के साथ अनेक प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। इनमें से कुछ सामान्य है ग्रेब, अगरेट, लेसर एडजुटेंट, सारस, क्रेन, ब्लैक आइबिस, लैसर विसलिंग टीज, सफेद आंखों वाले बजार्ड, ब्लैक काइट, क्रेस्टेड सर्पेंट इंगल, काला गीध, इजिप्शन गीध, सामान्य पी फाउल, लाल जंगली फाउल, डव, पाराकिट, किंगफिशर और इंडियन रोलर। यहां पाए जाने वाले सरीसृप हैं कोबरा, क्रेट, वाइपर, रेट स्नैक, पाइथन, कछुएं और वारानस सहित कई प्रकार की छिपकलियां।
कान्हा नेशनल पार्क-------------------
कान्हा टाइगर रिजर्व के मध्य प्रदेश में भाग मध्य प्रदेश के मंडला और बालाघाट जिलों में है और ये सतपुड़ा की मयकल पहाडियों में स्थित है। यह स्थान अपनी समृद्ध वनस्पति और जीव जंतु के कारण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है। कान्हा के साल वृक्ष और बांस के जंगल, लंबे लंबे घास के मैदानऔरलहराती नदियां लगभग 940 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हैं जो प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1974 में बनाए गए कान्हा टाइगर रिजर्व का केन्द्र बनाती है और यह एक मनमोहक प्राकृतिक दृश्य है। यह पार्क दुर्लभ बारा सींघा (सर्वस डूआसेली ब्रेंडेरी) का एक मात्र अधिवास है। कान्हा में स्तनधारियों की लगभग 22 प्रजातियां पाई जाती है। इन्हें बड़ी आसानी से देखा जा सकता है और ये हैं पट्टीदार पाम गिलहरी, आम लंगूर, भेडिए, जंगली सुअर, चीतल या चित्तीदार हिरण, बारासिंघा या स्वाम्प बीयर, सांभर और ब्लैक बक। यहां कुछ कम सामान्य प्रजातियां हैं बाघ,
भारतीय खरगोश, ढोल, या भारतीय जंगली कुत्ता, बार्किंग डीयर, भारतीय भैंसा या गौर। यहां आने वाले दर्शक धैर्य रख कर इन जंतुओं का नजारा भी ले सकते हैं : भारतीय लोमड़ी, स्लॉथ बीयर, पट्टीदार हाइना, जंगली बिल्ली, चीता, माउस डीयर, चौसिंघा या चार सींग वाला एंटीलॉप, नील गाय, रेटल और साही। यह आरक्षित वन गोंडवाना वाले भाग पर बनाया गया है जहां पारम्परिक रूप से और मुख्यत: गोंड तथा बैगा जनजातियां निवास करती हैं। बैगा जनजातियां आम तौर पर ऊपरी घाटी में सीमित रहती हैं और मुख्य माइकल श्रृंखला के पास दादर पाए जाते हैं।
माधव नेशनल पार्क-------- माधव (शिवपुरी) नेशनल पार्क 156 वर्ग किलो मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ एक पार्क है जो पूरे वर्ष खुला रहता है। इस पार्क में संरक्षण पर बल दिया जाता है जो एक समय ऐसा क्षेत्र था जिसे ग्वालियर के महाराजा का निजी क्षेत्र माना जाता था और यहां वे शूटिंग किया करते थे। शिवपुरी नेशनल पार्क की स्थापना 1958 में मध्य प्रदेश राज्य बनने के साथ ही की गई थी। इसे 1972 के वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम के तहत और भी अधिक सुरक्षित बनाया गया है। यहां की ऊंचाई 360-480 मीटर के आस पास है। यहां कई प्रकार की पहाडियां, सूखे, मिश्रित और पतझड़ी वन और घास के बड़े मैदान झील के आस पास हैं जो अनेक प्रकार के वन्य जीवों का दृश्य उपलब्ध कराते हैं। इस पार्क में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हिरण की हैं, जिसमें से अधिकांश जानवरों को बड़े आराम से घूमते देखा जा सकता है जैसे छोटे चिंकारा, भारतीय गेजल और चीतल। इस पार्क में पाई जाने वाली अन्य प्रजातियां हैं नील गाय, सांभर, चौंसिंघा या चार सींग वाला एंटीलॉप, ब्लैक बक, स्लॉथ बीयर, चीते और सभी जगह पाए जाने वाले लंगूर। यहां कभी कभार पेंथेरा ट्राइग्रिस, चीतें, पेंथेरा पारडस, पट्टीदार हाइना, भेडिए (केनिस ओरियस) जंगली बिल्ली (फेलिस चौस) चीतल (एक्सिस एक्सिस), सांभर (सर्वस यूनिकलर), नील गाय, बोसेलेफस, ट्रेगोकेमेलस, चार सींग वाला एंटीलॉप, टेट्रासेरस क्वाड्रीकोर्निस, जंगली सुअर, सुस स्क्रोफा, चिंकारा (पर्वतीय गजेल), गजेला, घडियाल और अन्य।
पन्ना नेशनल पार्क------------------- यह मध्य प्रदेश राज्य के लगभग मध्य में खजुराहो से 57 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र हीरों के लिए विख्यात है और यहां भारत की कुछ सर्वोत्तम वन्य जीवन प्रजातियां पाई जाती हैं और यह देश का एक बेहतरीन टाइगर रिजर्व है। इस पार्क में जंगली बिल्लियों के अलावा बाघ और हिरण तथा एंटीलॉप भी पाए जाते हैं। भारत के एक जाने माने पर्यटन आकर्षण केन्द्र, खजुराहो के समीप होने के कारण इस पार्क में एक बड़ा पर्यटन आकर्षण बनने की संभाव्यता निहित है। टाइगर (पेंथेरा टाइग्रिस) जो जंगल का राजा माना जाता है, यहां इस सुरक्षित वन में मुक्त भाव से घूमता है, जबकि इसके साथ ही भी यहां पाए जाते हैं - चीता (पेंथेरा पारडस), जंगली कुत्ते (क्यूऑन एल्पीनस), भूरा भेडिया (केनिस ल्यूपस), हाइना (फेलस केरा केल) और छोटी बिल्लियां यहां आप बड़ी आसानी से नील गाय और चिंकारा को घास के खुले मैदानों में घूमते हुए देख सकते हैं, विशेष रूप से किनारे की ओर। यहा कई प्रकार के सांपों के साथ अजगर और अन्य सरीसृप जंतु पाए जाते हैं। यहां 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है जिसमें अनेक प्रवासी पक्षी शमिल है। यहां सफेद गर्दन वाले स्टॉर्क, बार हेडिड बोज़, हनी बजार्ड, गिध, ब्लास्म हेडिड पाराकिट, पैराडाइज़ फ्लाइकेचर, स्नेटी हेडिड सिमीटार बैबलर आदि कुछ नाम हैं जो पाए जाते है।
करेरा पक्षी अभयारण्य-------------------- करेरा पक्षी अभयारण्य भारत के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश राज्य में है। यहां की वनस्पति मिश्रित पतझड़ी वनों के साथ नमी युक्त है। यहां बेर की झाडियां और अन्य वन्य पादपों की संख्या काफी अधिक है। इस पूरे वन में बबूल के अलावा कोई अन्य वृक्ष नहीं पाए जाते। करेरा अभयारण्य के कांटे दार खुले वनों में विशाल आकार के ग्रेट इंडियन बर्स्टड पाए जाते हैं और साथ ही मनमोहक ब्लैक बक भी यहां देखे जा सकते हैं। यहां कई प्रकार के पक्षियों और जंतुओं में अपना अधिवास बनाया है। ब्लैक बक और भारतीय गजेल यहां पाई जाने वाली कुछ प्रमुख प्रजातियां हैं। मौसम के दौरान अनेक प्रवासी पक्षी यहां अपना घर बनाते हैं। ये हैं पिनटेल्स, टील्स और गेडवॉल्स जो सूर्य की धूप से बच कर या कीचड़ में बैठ कर समय बिताते हैं। यहां ऐसे अनेक जलीय पक्षी भी हैं जो नदी में तैरते हुए पाए जाते हैं जैसे अग्रे और स्पॉनबिल्स। यहां पाए जाने वाले अन्य पक्षी हैं हेरॉन्स, इंडियन रॉबिन्स और साथ ही ड्रेगन फ्लाई, डेम्स फ्लाई तथा तितलियां भी पाई जाती है।
बोरी वन्य जीवन अभयारण्य---------------------बोरी वन्य जीवन अभयारण्यों मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है। यह 518 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले सबसे पुराने आरक्षित वनों में से एक है। यह वन्य जीवन अभयारण्य सतपुड़ा रेज के उत्तरी सिरे पर स्थित है। इस अभयारण्य में अधिकाशंत: सूखे पतझड़ी वन पाए जाते हैं, जिसमें टीक, धाओरा, बांस, तेंदु मुख्य रूप से पाए जाते हैं यहां ऐसी अनेक झाडियां और लताएं हैं जिन्होंने इस आरक्षित वन की सुंदरता को बढ़ा दिया है। इस अभयारण्य के विभिन्न पेड़ पौधे अनेक जीव जंतुओं का आश्रय है जैसे बाघ, चीता, हाइना, भेडिए, जंगली कुत्ते और भारतीय लोमड़ी, चीतल एक्सिस, सांभर, नील गाय, चिंकारा, गेज़ल, जंगली बिल्ली और चार सींग वाले एंटीलॉप, इन सभी को प्राकृतिक अधिवास में घूमते हुए देखा जा सकता है।
सतना, सांची, विदिशा, ग्वालियर, इंदौर, मंदसौर, उज्जैन, राजगढ़, भोपाल, जबलपुर, रीवा में स्थित संग्रहालयों में पुरातात्विक खजाने संरक्षित किए गए हैं। ओमकारेश्वर, महेश्वर और अमरकंटक को समेकित विकास के लिए उनके धार्मिक महत्व को बनाए रखने के लिए पवित्र शहर घोषित किया गया है। बुरहान पुर को एक नए पर्यटक गंतव्य के रूप में विकसित किया जा रहा है।पर्वतीय स्थल पचमढ़ी-----------पचमढ़ी भारत के मध्य राज्य का मनमोहक पर्वतीय स्थल है। पचमढ़ी शहर की भीड़ भाड़ से दूरदराज स्थित स्थान है। प्रकृति की गोद में छुट्टियां बिताने के लिए यह एक आदर्श स्थान है। इस पर्वतीय स्थल का नाम पांच पांडवों द्वारा बनाई गई गुफाओं के आधार पर रखा गया है। पचमढ़ी पर्वतीय स्थल 1100 मीटर की ऊंचाई पर सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला पर बसा हुआ है। पचमढ़ी में घने जंगलों के साथ गहरे तालाब और लावे से बनी पहाडियां है। लाल सेंड स्टोन से बनी घाटियां, रेवाइन और पचमढ़ी की गलियां यहां का आकर्षण हैं।
वन्य जीवन अभयारण्य-बांधवगढ़ नेशनल पार्क-------- यह एक नेशनल छोटा पार्क है जो सुगठित होने के साथ खेलों से भरा हुआ है। बांधव गढ़ में बाघों की संख्या भारत में सबसे अधिक है। इस नेशनल पार्क के महत्व और संभाव्यता को देखते हुए इसे 1993 में प्रोजेक्ट टाइगर नेटवर्क में जोड़ा गया था। इस आरक्षित वन का नाम इसके मध्य में स्थित बांधवगढ़ पहाड़ी (807) मीटर के नाम पर रखा गया है जो विंध्य पर्वत श्रृंखला और सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के पूर्वी सिरे के बीच स्थित है और यह मध्य प्रदेश के शहडोल और जबलपुर जिलों में है। यहां 22 से स्तनधारियों की प्रजातियां तथा 250 पक्षी प्रजातियां पाई जाती है। यहां सामान्य लंगूर और रिसस बंदर प्राइमेट समूह का प्रतिनिधित्व करते हैं। यहां पाए जाने वाले मांसभक्षियों में एशियाई भेडियां, बंगली लोमड़ी, स्लॉथ बीयर, रेटल, भूरे मंगूस, पट्टी दार हाइना, जंगली बिल्ली, चीते और बाघ, यहां पाए जाने वाले अन्य जंतु है जंगली सुअर, चित्तीदार हिरण, सांभर, चौसिंघा, नील गाय, चिंकारा और गौर। यहां पाए जाने वाले स्तनधारी है डोल, छोटी भारतीय सीवेट, पाम गिलहरी और छोटे बेंडीकूट चूहे कभी कभार देखे जा सकते हैं। शाकाहारियों में केवल गौर नामक जंतु पाया जाता है जो चारा खाता है। नदियों और दलदली स्थानों की वनस्ति के साथ अनेक प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। इनमें से कुछ सामान्य है ग्रेब, अगरेट, लेसर एडजुटेंट, सारस, क्रेन, ब्लैक आइबिस, लैसर विसलिंग टीज, सफेद आंखों वाले बजार्ड, ब्लैक काइट, क्रेस्टेड सर्पेंट इंगल, काला गीध, इजिप्शन गीध, सामान्य पी फाउल, लाल जंगली फाउल, डव, पाराकिट, किंगफिशर और इंडियन रोलर। यहां पाए जाने वाले सरीसृप हैं कोबरा, क्रेट, वाइपर, रेट स्नैक, पाइथन, कछुएं और वारानस सहित कई प्रकार की छिपकलियां।
कान्हा नेशनल पार्क-------------------
कान्हा टाइगर रिजर्व के मध्य प्रदेश में भाग मध्य प्रदेश के मंडला और बालाघाट जिलों में है और ये सतपुड़ा की मयकल पहाडियों में स्थित है। यह स्थान अपनी समृद्ध वनस्पति और जीव जंतु के कारण अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर चुका है। कान्हा के साल वृक्ष और बांस के जंगल, लंबे लंबे घास के मैदानऔरलहराती नदियां लगभग 940 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैली हैं जो प्रोजेक्ट टाइगर के तहत 1974 में बनाए गए कान्हा टाइगर रिजर्व का केन्द्र बनाती है और यह एक मनमोहक प्राकृतिक दृश्य है। यह पार्क दुर्लभ बारा सींघा (सर्वस डूआसेली ब्रेंडेरी) का एक मात्र अधिवास है। कान्हा में स्तनधारियों की लगभग 22 प्रजातियां पाई जाती है। इन्हें बड़ी आसानी से देखा जा सकता है और ये हैं पट्टीदार पाम गिलहरी, आम लंगूर, भेडिए, जंगली सुअर, चीतल या चित्तीदार हिरण, बारासिंघा या स्वाम्प बीयर, सांभर और ब्लैक बक। यहां कुछ कम सामान्य प्रजातियां हैं बाघ,
भारतीय खरगोश, ढोल, या भारतीय जंगली कुत्ता, बार्किंग डीयर, भारतीय भैंसा या गौर। यहां आने वाले दर्शक धैर्य रख कर इन जंतुओं का नजारा भी ले सकते हैं : भारतीय लोमड़ी, स्लॉथ बीयर, पट्टीदार हाइना, जंगली बिल्ली, चीता, माउस डीयर, चौसिंघा या चार सींग वाला एंटीलॉप, नील गाय, रेटल और साही। यह आरक्षित वन गोंडवाना वाले भाग पर बनाया गया है जहां पारम्परिक रूप से और मुख्यत: गोंड तथा बैगा जनजातियां निवास करती हैं। बैगा जनजातियां आम तौर पर ऊपरी घाटी में सीमित रहती हैं और मुख्य माइकल श्रृंखला के पास दादर पाए जाते हैं।
माधव नेशनल पार्क-------- माधव (शिवपुरी) नेशनल पार्क 156 वर्ग किलो मीटर क्षेत्रफल में फैला हुआ एक पार्क है जो पूरे वर्ष खुला रहता है। इस पार्क में संरक्षण पर बल दिया जाता है जो एक समय ऐसा क्षेत्र था जिसे ग्वालियर के महाराजा का निजी क्षेत्र माना जाता था और यहां वे शूटिंग किया करते थे। शिवपुरी नेशनल पार्क की स्थापना 1958 में मध्य प्रदेश राज्य बनने के साथ ही की गई थी। इसे 1972 के वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम के तहत और भी अधिक सुरक्षित बनाया गया है। यहां की ऊंचाई 360-480 मीटर के आस पास है। यहां कई प्रकार की पहाडियां, सूखे, मिश्रित और पतझड़ी वन और घास के बड़े मैदान झील के आस पास हैं जो अनेक प्रकार के वन्य जीवों का दृश्य उपलब्ध कराते हैं। इस पार्क में पाई जाने वाली प्रमुख प्रजातियां हिरण की हैं, जिसमें से अधिकांश जानवरों को बड़े आराम से घूमते देखा जा सकता है जैसे छोटे चिंकारा, भारतीय गेजल और चीतल। इस पार्क में पाई जाने वाली अन्य प्रजातियां हैं नील गाय, सांभर, चौंसिंघा या चार सींग वाला एंटीलॉप, ब्लैक बक, स्लॉथ बीयर, चीते और सभी जगह पाए जाने वाले लंगूर। यहां कभी कभार पेंथेरा ट्राइग्रिस, चीतें, पेंथेरा पारडस, पट्टीदार हाइना, भेडिए (केनिस ओरियस) जंगली बिल्ली (फेलिस चौस) चीतल (एक्सिस एक्सिस), सांभर (सर्वस यूनिकलर), नील गाय, बोसेलेफस, ट्रेगोकेमेलस, चार सींग वाला एंटीलॉप, टेट्रासेरस क्वाड्रीकोर्निस, जंगली सुअर, सुस स्क्रोफा, चिंकारा (पर्वतीय गजेल), गजेला, घडियाल और अन्य।
पन्ना नेशनल पार्क------------------- यह मध्य प्रदेश राज्य के लगभग मध्य में खजुराहो से 57 किलो मीटर की दूरी पर स्थित है। यह क्षेत्र हीरों के लिए विख्यात है और यहां भारत की कुछ सर्वोत्तम वन्य जीवन प्रजातियां पाई जाती हैं और यह देश का एक बेहतरीन टाइगर रिजर्व है। इस पार्क में जंगली बिल्लियों के अलावा बाघ और हिरण तथा एंटीलॉप भी पाए जाते हैं। भारत के एक जाने माने पर्यटन आकर्षण केन्द्र, खजुराहो के समीप होने के कारण इस पार्क में एक बड़ा पर्यटन आकर्षण बनने की संभाव्यता निहित है। टाइगर (पेंथेरा टाइग्रिस) जो जंगल का राजा माना जाता है, यहां इस सुरक्षित वन में मुक्त भाव से घूमता है, जबकि इसके साथ ही भी यहां पाए जाते हैं - चीता (पेंथेरा पारडस), जंगली कुत्ते (क्यूऑन एल्पीनस), भूरा भेडिया (केनिस ल्यूपस), हाइना (फेलस केरा केल) और छोटी बिल्लियां यहां आप बड़ी आसानी से नील गाय और चिंकारा को घास के खुले मैदानों में घूमते हुए देख सकते हैं, विशेष रूप से किनारे की ओर। यहा कई प्रकार के सांपों के साथ अजगर और अन्य सरीसृप जंतु पाए जाते हैं। यहां 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती है जिसमें अनेक प्रवासी पक्षी शमिल है। यहां सफेद गर्दन वाले स्टॉर्क, बार हेडिड बोज़, हनी बजार्ड, गिध, ब्लास्म हेडिड पाराकिट, पैराडाइज़ फ्लाइकेचर, स्नेटी हेडिड सिमीटार बैबलर आदि कुछ नाम हैं जो पाए जाते है।
करेरा पक्षी अभयारण्य-------------------- करेरा पक्षी अभयारण्य भारत के मध्य में स्थित मध्य प्रदेश राज्य में है। यहां की वनस्पति मिश्रित पतझड़ी वनों के साथ नमी युक्त है। यहां बेर की झाडियां और अन्य वन्य पादपों की संख्या काफी अधिक है। इस पूरे वन में बबूल के अलावा कोई अन्य वृक्ष नहीं पाए जाते। करेरा अभयारण्य के कांटे दार खुले वनों में विशाल आकार के ग्रेट इंडियन बर्स्टड पाए जाते हैं और साथ ही मनमोहक ब्लैक बक भी यहां देखे जा सकते हैं। यहां कई प्रकार के पक्षियों और जंतुओं में अपना अधिवास बनाया है। ब्लैक बक और भारतीय गजेल यहां पाई जाने वाली कुछ प्रमुख प्रजातियां हैं। मौसम के दौरान अनेक प्रवासी पक्षी यहां अपना घर बनाते हैं। ये हैं पिनटेल्स, टील्स और गेडवॉल्स जो सूर्य की धूप से बच कर या कीचड़ में बैठ कर समय बिताते हैं। यहां ऐसे अनेक जलीय पक्षी भी हैं जो नदी में तैरते हुए पाए जाते हैं जैसे अग्रे और स्पॉनबिल्स। यहां पाए जाने वाले अन्य पक्षी हैं हेरॉन्स, इंडियन रॉबिन्स और साथ ही ड्रेगन फ्लाई, डेम्स फ्लाई तथा तितलियां भी पाई जाती है।
बोरी वन्य जीवन अभयारण्य---------------------बोरी वन्य जीवन अभयारण्यों मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में स्थित है। यह 518 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैले सबसे पुराने आरक्षित वनों में से एक है। यह वन्य जीवन अभयारण्य सतपुड़ा रेज के उत्तरी सिरे पर स्थित है। इस अभयारण्य में अधिकाशंत: सूखे पतझड़ी वन पाए जाते हैं, जिसमें टीक, धाओरा, बांस, तेंदु मुख्य रूप से पाए जाते हैं यहां ऐसी अनेक झाडियां और लताएं हैं जिन्होंने इस आरक्षित वन की सुंदरता को बढ़ा दिया है। इस अभयारण्य के विभिन्न पेड़ पौधे अनेक जीव जंतुओं का आश्रय है जैसे बाघ, चीता, हाइना, भेडिए, जंगली कुत्ते और भारतीय लोमड़ी, चीतल एक्सिस, सांभर, नील गाय, चिंकारा, गेज़ल, जंगली बिल्ली और चार सींग वाले एंटीलॉप, इन सभी को प्राकृतिक अधिवास में घूमते हुए देखा जा सकता है।
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