१. आगर (शाजापुर) : अंग्रेजों द्वारा निर्मित विश्व का एक मात्र हिन्दु मंदिर जिसे कर्नल मार्टिन ने सन् १८८२ में बनवाया था। यहां महादेव जी का मंदिर है।
२. अलीराजपुर (झाबुआ) : यह म.प्र. का नवनिर्मित जिला है। यहां होली के अवसर पर भील जनजाति का प्रणय उत्सव ”भगोरिया हाट” मनाया जाता है। यहां भील युवक युवतियों के बीच सहपलायन विवाह होता है।
३. अगरगांव (होशंगाबाद) : म.प्र. का एक मात्र स्थान जहां ”टंगस्टन” पाया जाता है।
४. एरण ( सागर ) : सन् १९६५ में सागर विश्वविद्यालय के प्रो. श्री के.ड़ी बाजपेयी के नेतृत्व में यहां उत्खनन हुआ यहां बाराह अवतार की मूर्ति, विश्व का प्रथम सती प्रथा का साक्ष्य मिला। यहां अनेक गुप्तकालीन अवशेष, रामगुप्त के सिक्के पंचमार्क सिक्के, प्राचीन मानव के अवशेष आदिमानव की ताम्रयुगीन कुल्हाडी प्राप्त हुई है।
५. अमरकंटक ( अनुपपूर ) : यहां से नर्मदा, सोन, जोहिला, नामक नदियों का उद्गम होता है। यहां कपिल धारा, दुग्ध धारा, जलप्रपात, कपिलमुनि का आश्रम, माई की बगिया, श्री मेरूयन्त्र सहित, १०८ मंदिर स्थित है। इसे जैव विविधता क्षेत्र घोषित किया गया है।
६. ओरछा ( टीकमगढ ) :- यह बुन्देल राजाओं की राजधानी रहा है। यह बेतवा नदी पर स्थित है। यहां के दर्शनीय स्थलों में राधा स्वामी मंदिर, ”जहांगिरी महल”, सावन भादो स्तंभ आदि प्रमुख है।
७. असीरगढ ( खंडवा ) : असीर नामक व्यक्ति द्वारा बनाया गया। यह अपने विशाल किले के लिए प्रसिद्ध है। यह अकबर की अंतिम विजय थी। (सन् १६०१)
८. ओंकारेश्वर ( खंडवा ): यहां म.प्र. का दूसरा ज्योर्तिलिंग स्थित है। यहां नर्मदा नदी ओम के आकार में बहती है। यहां नर्मदा पर इन्दिरा सागर परियोजना प्रारंभ की गई है।
९. आदमगढ ( होशंगाबाद ) ;नर्मदा के उत्तर में स्थित ”पाषाण युगीन कुल्हाडी एवं आदिम मानव के अवद्गोष मिले जिसे ”होमोइरेक्टस नर्मदालेन्सिस’ नाम दिया गया।
१०. अबरा ( मंदसौर ) : प्राचीन मानव के अवशेष प्राप्त हुए है।
११. आगासोद( बीना) यहां पर तेल शोधनशाला, ओमान के सहयोग से स्थापित की गई है।
‘ B ‘
१. बानमोर ( मुरैना) :- यह नव स्थापित औद्योगिक केन्द्र है। यहां शक्कर बनाने के अनेक कारखाने लगाए गये है।
२. बरलाई ( देवास) यहां पर म.प्र. का शक्कर बनाने का सबसे बड़ा कारखाना स्थित है।
३. बोरगांव ( छिन्दवाडा) :- म.प्र. का नव स्थित औद्योगिक केन्द्र जहां जैविक खाद्य, एवं कृषि यंत्र बनाने के कारखाने स्थित है।
४. बागली ( देवास):- यहां से ”काली सिन्ध” नदी का उद्गम होता है।
५. बुरहानपुर :- इसे १५ अगस्त २००३ को नया जिला बना गया यहां म.प्र. का एकमात्र यूनानी चिकित्सा महाविद्यालय स्थित है। यह अपने केला उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। मुगल सम्राट शाहजहां की पत्नि मुमताज महल की १४ बच्चे को जन्म देते समय मृत्यु यहीं हुई थी।
६. बैढन (सिंगरौली ) – यहां संजय गांधी राष्ट्रीय ताप बिजली घर स्थित है। यह म.प्र.की ”ऊर्जा राजधानी” कहलाता है।
७. बावनगजा (बडवानी):- म.प्र. की सबसे ऊंची मूर्ति भगवान ”आदिनाथ” की यहां स्थित है।
८. विजयनगर ( गुना):- एच.बी.जे. पाईप लाईन पर आधारित गैस द्वारा उर्वरक बनाने का कारखाना स्थित है।
९. बुधनी (सीहोर):- यहां रेलवे ”स्लीपर” बनाने का कारखाना स्थित है।
१०. बेसनगर ( विदिशा) :- सन् १९१५ में ”आर.जी.भण्डारकर के नेतृत्व में इसकी खुदाई हुई यहां शुगवंश,कुषाण,मौर्य, एवं गुप्तवंश के प्रमाण मिले। यहां पर यूनान के शासक अन्त्यालकीड्स ने अपना राजदूत हेलियोडोरस को भेजकर गरूड स्तम्भ स्थापित कराया।
११. भीम बेटका (भोपाल) :- इसकी खोज विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के प्रो.श्रीधर विष्णु वाकणकर ने सन् १९५५ मे की थी। यहां विश्व के सबसे प्राचीन शैलचित्र प्राप्त हुए। इसे २००३ में यूनेस्को ने विश्वविरासत सूची में शामिल किया है।
१२. भेडाघाट (जबलपुर):- संगमरमर नगरी के नाम से प्रसिद्ध है यहां के चौसठयोगनी मंदिर, तिलवाडाघाट, बन्दरकूदनी, आदि दर्शनीय स्थल है। यहां नर्मदा नदी धुआंधार नामक जलप्रपात बनाती है।
१३. भरहुत (सतना):- गुप्त कालीन शिव -पार्वती मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
१४. भिण्ड :- भिण्डी ऋषि द्वारा स्थापित| यहां मालनपुर नामक नव निर्मित औद्योगिक केन्द्र स्थित है।
१५. बाघ की गुफाएं (धार):- ”गुप्त शासको” ने अजंता गुफाओं की तरह म.प्र. के धार जिले में १० गुफाओं का निर्माण करवाया जो ”महात्मा बुद्ध” के जन्म से लेकर उनके सम्पूर्ण जीवन का चरित्र चित्रण करती हैं।
१६. भोपाल :- वर्तमान भोपाल की स्थापना सन् १७०७ में दोस्त मोहम्मद ने की थी। यह १९७२ में जिला बनाया गया। यहां ताजुल मस्जिद, गौहर महल, भारत भवन, वन विहार, ऐशबाग स्टेडियम, इंदिरा गांधी मानव संग्रहालय, लक्ष्मी नारायण मदिर, आदि दर्शनीय स्थल है। सन् १९५६ में यहां इग्लैण्ड़ के सहयोग से भारत हैवी इलेक्ट्रीकल्स लिमिटेड की स्थापना की गई। यहां ”राष्ट्रीय न्यायिक एकेडमी”, माखन लाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय, राजा भोज मुक्त विश्वविद्यालय, बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, राजीव गांधी विश्वविद्यालय, मौलाना आजाद तकनीकी विश्वविद्यालय, आदि स्थित है।
१७. बैतूल :- यहां ग्रेफाइट का उत्पादन होता है एवं HMT घडियां बनाने का कारखाना स्थित है।
१८. भोजपुर (भोपाल) :-राजा भोज द्वारा स्थापित प्राचीन कालीन शिवमंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
” C “
१ छिन्दवाडा :- क्षेत्रफल की दृष्टि से म.प्र.का सबसे बडा जिला है |यहां आदिम जाति अनुसंधान केन्द्र स्थित है। यहां पाये जाने वाले खनिजों में कोयला, मैग्नीज, बाक्साईट, फेल्सफार आदि प्रमुख है।
२. चन्देरी (गुना) :- यह जरी की साडियो के लिए विश्व प्रसिद्ध है |यहां हवा महल, खूनी दरवाजा, १०९ बावडियां एवं जौहरकुण्ड आदि के लिए प्रसिद्ध है।
३. चित्रकूट (सतना) :- मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित, रामद्गिाला, हनुमान धारा, स्फर्टिकशिला, रामचन्द्र का आश्रम, गुप्त गोदावरी, ”सती अनुसुय्या” का आश्रम स्थित यहां ब्रम्हा, विष्णु, महेद्गा, ने बाल अवतार लिया।
४. चचाई जल प्रपात :- यहां बीहड नदी पर स्थित म.प्र. का सबसे उंचा जल प्रपात स्थित है।
५.छनेरा :- ”इंदिरा सागर परियोजना” से विस्थापित लोगों को ”छनेरा” नामक स्थान पर बसाया गया इसे ”नया हरसूद” नाम दिया गया।
” D “
१. दतिया :- यह गामा पहलवान की जन्म भूमि है।यहां सतखण्डा महल एवं पीताम्बरा पीठ स्थित है।
२. दालोदा (उज्जैन):- यहां शक्कर बनाने का कारखाना स्थित है।
३. धरमत (उज्जैन) : – मुगल सम्राट औरंगजेब एवं दाराशिकोह के बीच उत्ताराधिकारी का युद्ध सन् १६५८ में यहां लड़ा गया। यहां प्रदेश का पहला पुरातात्विक संग्रहालय बनाया गया है।
५. देवास :- यहां बैंक नोट प्रेस स्थित है जिसमें २०रूप्ये मूल्य से लेकर १००० मूल्य तक के नोट छापे जाते है। यहां शारदा माता का मंदिर स्थित है। शिवपुत्र कोमकली (कुमार गन्धर्व ) की नगरी के नाम से इसे जाना जाता है। यहां चमडे से जूते बनाने के कारखाने स्थित है।
६. डिण्डोरी :- यह बैगा जनजाति के लिए प्रसिद्ध है बैगा जनजाति का निवास स्थान बैगाचक यहां स्थित है। जो अत्यंत पिछडा हुआ क्षेत्र है।
७. द्रोणागिर (छतरपुर):- यहां जैन तीर्थ स्थल है।
८. डांगवाला (उज्जैन) -यहां पाषाण कालीन मानव के अवशेष प्राप्त हुए है।
९. दसपुर (मंदसौर) :- प्राचीन कालीन सूर्य मंदिर के अवशेष प्राप्त हुए है।
१०. दीवानगंज (भोपाल):- यहां कचरे से जैविक खाद्य का निर्माण किया जाता है।
११. धुवेरा (नौगावं) :- मध्यप्रदेश का सबसे बडा ”म्यूजियम” यहां बनाया गया है।
१२. झातरा (नीमच) :-९ दिसम्बर २००० को म.प्र. मे ग्राम न्यायालय की शुरूआत यहीं से हुई थी।
१३. ढीमरखेडा (कटनी) :- यह भारत का ”केन्द्र बिन्दु” स्थल है।
१४. धूपगढ (पचमढी) यह म.प्र. की सबसे उंची चोटी है जिसकी ऊँचांई १३५० मी. है जो सतपुडा मेकल पर्वत श्रृंखला की चोटी है।
” G ”
१. गोपालपुरा (इन्दौर) :- हिंगोट युद्ध के लिए प्रसिद्ध है जो दीपावली के अवसर पर खेला जाता है।
२. गोटेगांव (श्रीधाम) :- त्रिपुर सुन्दरी (पार्वती) के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
३. गोविंदगढ़ (रीवा) :- यहा सफेद शेरो की जन्म स्थली है।
४. गुज्जर्रा (दतिया) :- यहां मौर्य सम्राट अशोक का स्तम्भ लेखा मिला जिस पर अशोक का नाम लिखा हुआ मिला है।
५. गिन्नौरगढ (रायसेन) :- यह स्थान तोते के लिए प्रसिद्ध है।
६. घाटीगांव (ग्वालियर) :- यहां सोन चिडिया के लिए अभ्यारण्य बनाया गया है।
७. ग्वालियर :- ग्वालियर की स्थापना गालिक ऋषि के नाम पर महाराज जी सिंधिया ने की थी यहां पर बी.एस.एफ., वायु सेना प्रशिक्षण केन्द, मोहम्मद गौस, बैजू बावरा, तानसेन का मकबरा, रानी लक्ष्मी बाई की समाधि, जीवाजी पैलेस तेली का मंदिर, मानसिहं का किला, गूजरी महल, डाक प्रशिक्षण, अमूर्त संग्रहालय एशिया का एक मात्र शारीरिक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय ,(इंदिरा गांधी शारीरिक प्रशिक्षण विश्वविद्यालय) स्थित है।
श्री अटल बिहारी बाजपेयी ग्वालियर के है।
“H”
१. हीरापुर (छतरपुर) :- यह राँक फास्फेट के लिए प्रसिद्ध है।
२. हिनोता (पन्ना) :- यहां हीरा उत्खनन का कार्य किया जाता है।
३. होशंगाबाद :- क्षेत्रफल में सबसे छोटा संभाग सिक्युरिटी (नोट) पेपर मिल स्थित है।
” I “
१. इन्दौर :- १७७० में रानी अहिल्या बाई द्वारा स्थापित यहां पर लालबाग पैलेस,राजवाडा, कांच मंदिर, अन्नापूर्णा मंदिर, लेजर परमाणु उर्जा अनसंधान केन्द्र, म.प्र. वित्त निगम का मुख्यालय राष्ट्रीय सोयाबीन अनुसंधान, समाज सेवा महाविद्यालय.,दंत चिकित्सा महाविद्यालय, म.प्र. लोक सेवा आयोग का मुख्यालय एवं लता मंगेशकर की जन्म भूमि है।
२. इन्द्रगढ़ :-सन् १९७५ में इसकी खुदाई हुई यहां आदिम मानव के अवशेष प्राप्त हुए।
३. इटारसी (होशंगाबाद) :- म.प्र. का सबसे बडा ”रेल जंक्सन ” है।
” J “
१. जटकरा (खजुराहो) यहां पर हुयी खुदाई मे विशाल मंदिर प्राप्त हुआ है।
२. जबलपुर :- नर्मदा नदी के किनारे स्थित म.प्र. की संस्कारधानी के नाम से प्रसिद्ध, यहां पर मदन महल एवं टिगवा में गुप्तकालीन विष्णु भगवान का मंदिर म.प्र. शैक्षणिक अनुसंधान केन्द्र, उच्च न्यायालय गवर्मेन्ट आर्डिनेक्स फैक्ट्री, सेना वाहन निर्माण केन्द्र, पं. जबाहर लाल नेहरू ने कृषि विश्व विद्यालय”, स्थित है। सन् ”१९२३ में झण्डा आंदोलन यहीं से शुरू हुआ।
३. जावरा (रतलाम) :- यहां शक्कर उत्पादन केन्द्र है।
४. जटकुडार (टीकमगढ ) :-यह किले के लिए प्रसिद्ध है। जिस पर ”वृन्दावन लाल वर्मा” ने उपन्यास लिखा है।
” K “
१. कायथा (उज्जैन) :- यहां आदिम मानव के अवशेष प्राप्त हुए है।
२. कस्तूरबा ग्राम (इन्दौर):- यह प्रदेश का प्रथम सौर उर्जा चलित गांव है।
३. करौदी (कटनी) :- यह भारत का केन्द्र बिन्दु है यहां महार्षि महेश योगी वि.वि. की स्थापना की गई है।
४. केन :- म.प्र., उत्तर प्रदेश एवं केन्द्र सरकार के बीच नदी जोड ने संबंधी देश का पहला नदी जोडों समझौता हुआ, इस नदी में केन अभ्यारण्य बनाया गया है। जिसमें घडियाल, मगरमच्छ पाले गये है।
५. केलारस (मुरैना) :-यह सीमेन्ट, कत्था उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
६. कटनी :-यह विस्फोटक कारखाना एवं चूना पत्थर के लिए प्रसिद्ध है।
७. कुम्रारागावं (रायसेन) :-यहां से ”बेतवा नदी का उद्गम होता है।
८. काकरी बार्डी (रायसेन) : -यह क्षिप्रा नदी का उद्गम स्थल है
९. कान्हा :- यहां १९३५ में कान्हा नामक गावं में अभ्यारण्य बनाया गया। जिसे १९५५ में राष्ट्रीय उद्यान का दर्जा दिया गया। इसमे १९७४ में प्रोजेक्ट टाइगर लागू किया गया।यहां ब्रेडरी नस्ल के हिरण पाये जाते है। कैप्टन ”फारसाइथ की पुस्तक” हाईलैण्डर ऑफ फार सेन्टरल इंडिया में वर्णित ”बंजर एवं हालो घाटी” इसी में स्थित है। यहां ८५ प्रकार के वन्य जीव एवं ६०० से अधिक किस्म के पक्षी पाये जाते है।
१०. खजुराहो :- इसकी खोज १८५७ में ”अल्फेड लायल” ने की थी। इसे ”१९८९ में विश्वविरासत सूची मे शामिल किया गया है। यह देश का एक मात्र गावं है जिसमें जेट विमान उतरते है।यह वैष्णव, शैव, एवं जैन तीन धर्मो का धार्मिक स्थल है यहां पर कदंरिया महादेव मंदिर, लक्ष्मणमंदिर ,मतंगेश्वर मंदिर , विश्वनाथ मंदिर आदि मुख्य है।
”चंदेल राजा नरसिहं वर्मन” प्रथम ने ९०५ ई. में यहां मंदिरों का निर्माण कार्य प्रारंभ किया। १०५० तक कुल ८५ मंदिर बनवाये गये जिसमे २५ मंदिर अभी अच्छी स्थिति में है।
११. खुरई :- म.प्र. में गेहूं की सबसे बड़ी मण्डी स्थित हैं।
१२. खरगौन :- यहां पर सबसे ज्यादा २६ सिनेमा घर है।
१३. खण्डवा :- म.प्र. का एक मात्र गांजा उत्पादक जिला (मेरिजुआना) कपास उत्पादक, एवं किशोर कुमार की जन्मभूमि के लिए प्रसिद्ध।
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१ लम्हेघाट (ग्वालियर) :- यह चूना पत्थर का उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
“M”
२. मुंगावली (अशोकनगर) : यहां खुली जेल स्थित है इसकी स्थापना १९७३ में की गयी।
३. मांडू (धार): आनन्द नगरी के नाम से प्रसिद्ध, बाज बहादुर और रानी रूपमती
का महल, जहाज महल, हिंडोला महल, आशर्फी महल, नीलकण्ठ मंदिर,
चम्पाबावडी, हाथीपोल, दिलावरखान, का महल , रानी रूपमती का महल,
बाजबहादुर का महल, भंगी दरवाजा, तरबूज-खरबूज महल आदि प्रसिद्ध हैं।
४ महेश्वर :यह नगर रानी अहिल्या बाई की राजधानी था यह अपनी जरी की साडियों,चूडियों, के लिए प्रसिद्ध है। नर्मदा नदी यहां सहस्त्रधारा जलप्रपात बनाती है।
५. मंदसौर – यह म.प्र. का एक मात्र अफीम उत्पादक जिला है। यहां विश्व का दूसरा पशुपतिनाथ का मंदिर स्थित है।
६. मैहर (सतना) : बाबा अलाउद्दीन खॉ की कर्मभूमि, शारदा माता का मंदिर, सीमेंट फैक्ट्री के लिए प्रसिद्ध है।
६. मुक्तागिरि (बैतूल) : यह जैन तीर्थ स्थल है।
७. मक्सी (शुजालपुर) : यहां एस्बेस्टस (अग्निरोधी) की चादरें बनाई जाती है।
८. मलाजखण्ड (बालाघाट) : एशिया की सबसे बड़ी तांबे की खुले मुँह की खदान स्थित है।
१०. मुलताई (बैतूल) : यहां से ताप्ती नदी का उद्गम होता है।
११. मंझगवा (सतना) : यह हीरा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
१२. महीदपुररोड (उज्जैन) : यह शक्कर उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
१३. महू : इसका नया नाम अम्बेडकर नगर है। १४ अपै्ल सन् १८९१ को यहां डॉ भीमराव अम्बेडकर का जन्म हुआ यहां डॉ.अम्बेडकर सामाजिक शोध केन्द्र एवं मिलिट्री हेड क्वार्टर्स ऑफ वार (MHOW) स्थित है।
१४. मंडीदीप (रायसेन) : एशिया का एकमात्र आप्टिकल फायबर बनाने का कारखाना स्थित है।
१५. मालनपुर (भिण्ड ) : नवनिर्मित औद्यौगिक जिला।
१६. मेघनगर (झाबुआ) : यहां सिलैण्डर, माचिस, सुपर फास्फेट बनाने के कारखाने स्थित है।
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१. नागदा (उज्जैन) : कृत्रिम रेशे बनाने का कारखाना, म.प्र. का एकमात्र, निजी हवाई अड्डा स्थित है।
२. नेपानगर (बुरहानपुर) : एशिया का सबसे बडा अखबारी कागज बनाने का कारखाना स्थित है।
३. नानपुर (झाबुआ) : यह भगोरिया हाट के लिये प्रसिद्ध है।
४. नरवर (शिवपुरी) : यहां १८ अप्रैल १८५९ को प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम से सेनानी तात्याटोपे को फांसी दी गई।
५. नीमच : यहां एल्केलाइड फैक्ट्री, एवं सी.आर.पी.एफ.प्रशिक्षण केन्द है। १८५७ की क्रांति की शुरूआत मध्यप्रदेश में नीमच से हुई थी।
६. नरसिंहपुर : देश का प्रथम हिन्दी भाषी पूर्ण साक्षर जिला। यह नर्मदा नदी के तट पर स्थित है। यह गन्ना उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है। यहां बोस्टल स्कूल स्थित है।
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१. पचमढी :- १८५९ में कैप्टन फारसाइथ द्वारा इसकी खोज की गई। इसे देश का १४ बायोस्फियर रिजर्व क्षेत्र घोषित किया। यहां के दर्शयनीय स्थलों में धूपगढ, चौरागढ़, जटाशंकर , बसिया बेरिया गुफा, रजत जलप्रपात, पाण्डव गुफायें, अप्सरा विहार, नंदन अभ्यारण्य, संगम टूर, बडा महादेव, आदि दर्शयनीय स्थल हैं।
२. पान गुडरिया(होशंगाबाद):- यहां सम्राट अशोक का लघुशिलालेख पाया गया,एवं आदि मानव के अवशेष प्राप्त हुए है |
३. पांढुर्ना (छिदवाडा):- यहां प्रतिवर्ष जामुली नदी के किनारे ”गोटमार मेले”का आयोजन होता है।
४. पातालकोट (छिन्दवाडा):- यह छिन्दवाडा से ८५ कि.मी.उत्तर में तामिया तहसील में स्थित है। यह ३०० वर्ग किमी एरिया में फैला है। इसमें आदिम जनजाति भरिया का निवास स्थान है। जिसका मुख्य व्यवसाय कन्दमूल एकत्रित करना है।
५. पालपुरकुनों (मुरैना):- इसमें एशियन शेर गुजरात से लाकर रखे जाने का प्रस्ताव है।
६. पीथमपुर (धार):- भारत का डेट्राइट के नाम से प्रसिद्ध। यहां कायनेटिक होण्डा, मैसी एवं आएसर ट्रेक्टर, महेन्द्रा टैम्पो आदि वाहन बनाये जाते हैं।
७. परकोटा (सीधी):- यहां कोरण्डम पाया जाता है।
८. पुरैना (पन्ना):- यह नवनिर्मित औद्यौगिक केन्द्र है।
९. पीलूखेडी (राजगढ):- नवनिर्मित औद्यौगिक केन्द्र है।
१०. पन्ना :- यहां रेप्टाइल पार्क बनाया गया है। यहां हीरे का उत्खनन होता है।
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१. राष्ट्रीय चम्बल अभ्यारण्य :- यह म.प्र. का सबसे बडा अभ्यारण है इसका क्षेत्रफल ३९०२ वर्ग किमी है। इसमें मगर, घडियाल, उदविलाव, डाल्फिन मछलियां पाली गयी है। ।
२. रानगिर (सागर):- यहां हरसिद्धि मां का मंदिर स्थित है।
३. रूपनाथ (जबलपुर):- यहां अशोक का लघु स्तंभ पाया गया।
४. राघोगढ (राजगढ):- यह प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण पर्यटन स्थल है।
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१. सिथौली (ग्वालियर) :यहां रेल्वे स्लीपर, स्प्रिंग बनाने का कारखाना स्थित है।
२. सागर : इसकी स्थापना १६८० में उदालशय ने की थी। इसका पुराना नाम रविस है।
इस शहर के चारों ओर सौ गढ (किले)होने के कारण इसका नाम सौगढ़ पडा। यहां विधि
विज्ञान प्रयोगशाला, पुलिस एकेडमी, देश की सातवीं डीएनए लैब, स्थापित की गई है।
३. सांची :- सन् १८१८ में जनरल टेलर ने इसकी खोज की। यह सम्राट अशोक के समय
हीनयान बौद्ध धर्म का प्रसिद्ध केन्द्र था। यहां विश्व का सबसे बडा स्तूप स्थित है इसमें
बुद्ध के दो प्रिय शिष्य सारिपुत्र एवं महामोदग्लायन की अस्थियां रखी हुई है इसे सन्१९८९
में विश्व विरासत सूची में रखा गया इसकी देखरेख श्रीलंका सरकार करती है।
४. सोहागपुर (शहडोल):- यह कोयला उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है।
५. शिवपुरी - प्रदेश का प्रथम पर्यटक शहर एवं प्रदेश का सबसे
ठण्डा क्षेत्र है
६. सैलाना (रतलाम):- यहां खरमौर पक्षी के लिए अभ्यारण्य बनाया गया है।
७. सोन अभ्यारण्य (सीधी):- यहां मगरमच्छ एवं घडियाल के लिए अभ्यारण्य बनाया गया है।
८. सिंगरौली (सीधी):- एशिया की सबसे बडी कोयले की खुले मुँह की खदान स्थित है। इसे मई २००८ नया जिला बनाया गया है।
९. स्लीमनाबाद (जबलपुर):- यह तांवा उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
१०. संग्रामपुर (दमोह):- यहां पुरातत्व संग्रहालय बनाया जा रहा है।
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१. त्रिपुरी :- यह जबलपुर का पुराना नाम हैं। यहां नेता जी सुभाष चंद्र बोस का ५२ हाथियों के साथ जुलूस निकाला गया था।
१४. तिगवा (जबलपुर) :- गुप्त कालीन विष्णु मंदिर (१६०० साल पुराना) के लिए प्रसिद्ध है।
१५. टेकनपुर (ग्वालियर) :- BSF का प्रशिक्षण केन्द्र, डॉग ट्रेनिंग स्कूल एवं वायुसैनिक प्रशिक्षण केन्द्र स्थित है।
“U”
१. उमरिया :- यहां बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान स्थित है।
२.उद्योग विहार (रीवा) :- यह नवनिर्मित औद्योगिक केन्द्र है।
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