जिन शहीदों की कुर्बानियों से देश आजाद हुआ अब उनके वारिसों पर क्या बीत रही है, इससे देश के मौजूदा कर्णधार अनजान हो गए लगते हैं। ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है, शहीदे आजम उधम सिंह के पोते के परिवार का। इस परिवार के सदस्य सिर पर ईंटें ढोकर दैनिक मजदूरी करके पेट पाल रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि उधम सिंह ने जलियांवाला बाग में हजारों निहत्थे स्वतंत्रता सेनानियों के नरसंहार का बदला लेने के लिए लंदन में जरनल डायर को मार डाला था। आज उसी उधम सिंह के पोते जीत सिंह का परिवार सुनाम में बदहाली में है। यह जानकारी मिलने पर हरियाणा से राज्यसभा सांसद रामप्रकाश ने इन्हें सुनाम पंजाब से बुलवाकर शनिवार को शहीदे आजम उधम सिंह के 71वें शहीदी दिवस पर जिला यमुनानगर के रादौर कस्बे में आर्थिक मदद देकर इनकी मदद करने की पहल की।
सांसद रामप्रकाश ने शनिवार को कुरुक्षेत्र के पिपली पैराकीट व रादौर में आयोजित हुए शहीद सम्मान समारोह में कहा कि शहीदों ने जो रास्ता चुना था, उसी कारण आज उनके वंशजों को तंगी में जिंदगी बितानी पड़ रही है। इनकी सुध लेने के लिए सभी को आगे आना होगा। शहीदों के गुमनाम वारिसों पर फिल्म बना रहे शिवानंद झा ने कहा कि देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर करने वाले शहीदों के गुमनाम वारिसों के लिए हमें कुछ करना होगा। मेरा पूरा प्रयास होगा कि ऐसे गुमनाम वारिसों को देश की जनता के सामने लाए जाए।
शहीद ऊधम सिंह के वंशज जीत सिंह को कांबोज धर्मशाला रादौर की ओर से 1 लाख 41 हजार रुपये की सहायता राशि भेंट की गई। वहीं शिवनाथ झा व उसकी पत्नी मीना झा को जय भगवान शर्मा ने 2 लाख रुपये की नकद राशि दी। जीत सिंह के साथ उनका बेटा जग्ग सिंह भी आया था। इस अवसर पर रामप्रकाश ने रादौर में निर्माणधीन शहीदेआजम उधम सिंह कांबोज धर्मशाला के लिए सात लाख रुपये देने की घोषणा की
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