Thursday, January 13, 2011

कैसे दर्ज कराएं एफ़आईआर..................


भारत में आम तौर पर कोई दुर्घटना होने पर लोग पुलिस में प्राथमिकी (एफ़आईआर) दर्ज कराते वक्त ड़रते हैं। ज्यादातर लोगों को मालूम ही नहीं होता कि प्राथमिकी कैसे दर्ज करवाई जाए। याद रखें किसी दुर्घटना के होने पर एफ़आईआर दर्ज कराना हर नागरिक का कर्तव्य है।

-आप किसी भी पुलिस स्टेशन पर एफ़आईआर दर्ज करवा सकते हैं। पुलिस अधिकारी की यह डयूटी होती है कि वह दुर्घटना के निकटतम पुलिस स्टेशन पर प्राथमिकी भेजें।

-एफ़आईआर हमेशा लिखित में दर्ज करें। आख़िर में आपके हस्ताक्षर भी होने चाहिए।

-एफ़आईआर दर्ज करवाने के लिए चश्मदीद गवाह का होना ज़रूरी नहीं। दुर्घटना के बारे में जानने पर कोई भी एफ़आईआर दर्ज करवा सकता है।

- ज़रूरी नहीं कि आप अपराध करने वाले का नाम लिखवाएं। अगर आपको उसका नाम मालूम नहीं है तो उसका हुलिया ज़रूर बताएं, जिससे पुलिस को अपराधी को पकड़ने में सुविधा रहे।

-एफ़आईआर मे दुर्घटना का स्थान, तिथि और समय का लिखा जाना ज़रूरी है।

-दुर्घटना की जानकारी पूर्ण, लेकिन छोटी और आवश्यक होनी चाहिए। एफ़आईआर से पुलिस कार्यवाही शुरू करती है, इसलिए अनावश्यक बातें लिखवाकर उसे लंबा न करें।

-अनावश्यक बातें लिखवाने से हो सकता है कि अगर अदालत में पेशी कई वर्षों बाद हो तो आप बेकार की बातें भूल भी सकती हैं।

-एफ़आईआर दर्ज करवाने में समय की कोई समस्या नहीं है, लेकिन अपराध के बाद आप जितने जल्दी प्राथमिकी दर्ज करवाएं आपके लिए अच्छा है।

-किसी भी पुलिस अधिकारी के लिए एफ़आईआर लिखने से मना करना ग़ैरक़ानूनी है। ऐसी हालत में पुलिस अधीक्षक से शिकायत करनी चाहिए।

-आमतौर पर एफ़आईआर दर्ज करते समय पुलिस स्थानीय भाषा का इस्तेमाल करती है। अगर आप स्थानीय भाषा नहीं जानते हैं तो किसी अन्य व्यक्ति की मदद ले सकते हैं।

-एफ़आईआर पर तब तक हस्ताक्षर न करें जब तक कि आप उसमें लिखे तथ्यों को पढ़कर संतुष्ट न हो जाएं।

-एफ़आईआर की एक कॉपी अपने साथ रख सकती हैं। अगर आपके पास कॉपी न हो तो मुमकिन है कि आपकी शिकायत पर ध्या नही न दिया जाए और आप कुछ न कर सकें।

-दुर्घटना की जानकारी आप पुलिस को फ़ोन पर भी दे सकती हैं। ऐसे में पुलिस आपका नाम, आयु, पता एवं फ़ोन नं. की जानकारी अपने रिकॉर्ड के लिए ले लेती है।

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